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मंगलवार, 19 मार्च 2013

भारतीय स्टेट बैंक ON-LINE....

SwaSaSan Welcomes You...

 बचत खाता खोलना अब बिल्कुल आसान 

बचत खाता खोलिए ON-LINE....

भारतीय स्टेट बैंक में On-Line  

बचत खाता खोलने के लिए

बैंक की वेब साईट http://sbi.co.in 

पर दी गई लिंक पर जाकर

ऑनलाइन फार्म भरें,
TCRN एवं TARN नंबर तुरंत SMS पर प्राप्त करें,

पूरी तरह भरे हुए फार्म का प्रिंट भी निकालें,

प्रिंटेड फ़ार्म में निर्दिष्ट स्थानों पर हस्ताक्षर करें,

प्रिंट आउट के साथ अपने दस्तावेज

1.अभी हाल में खिंचवाए हुए २ पासपोर्ट आकार के फोटो। 

(फोटो में से एक फ़ार्म पर ठीक तरह से चिपकाएँ

एवं दूसरा  प्रिंट आउट के साथ पिन से संलग्न करें),

2. पहचान के प्रमाण (I D Proof )की फोटो कॉपी पर 
स्वयं के हस्ताक्षर कर 
(स्व-प्रमाणित प्रतिलिपि /Self Attested Copy) 
संलग्न करें !
3 पते के प्रमाण (Address  Proof ) की फोटो कापी 
स्वयं के हस्ताक्षर कर 
(स्व-प्रमाणित प्रतिलिपि /Self Attested Copy) 
संलग्न करें!
4.खाता खोलने हेतु प्रारंभिक राशि रु ........../की
(बिना खाता  क्र. लिखी) भरी हुई जमा पर्ची संलग्न करें ! 
5.फ़ार्म के साथ प्रस्तुत की जा रही फोटो-कॉपियों  के,
 बैंक अधिकारी द्वारा प्रमाणीकरण हेतु,
ओरीजनल दस्तावेज
एवं
निर्दिष्ट स्थानों पर हस्ताक्षर-युक्त प्रिंटेड फार्म के साथ  

आपकी निकटतम भारतीय स्टेट बैंक शाखा में संपर्क करें !

बैंक-सेवाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करने 

एवं अपने कानूनी दायित्व की पूर्ती हेतु 

अपनी आयकर खता संख्या PAN अवश्य प्रस्तुत / दर्ज करें .

.

सौजन्य-

भारतीय स्टेट बैंक ON-LINE

....आपके विकास में आपका सहभागी!!!…. 

रविवार, 10 मार्च 2013

स्वसासन आव्हाहन !

SwaSaSan Welcomes You...

हिन्दुस्तानी हैं ? तो हिंदी से दूर क्यों ???

जानकारी ना केवल बचाव है

 बल्कि विकास भी

और जागृति की जनक भी !

जानकार बनिए 

- 'सद्गुरु महाराज' 

--------

सत्य-मेव जयते 

'सद्गुरु महाराज' कहते हैं की 

सत्य तो स्वयं-सिद्ध  है !

 सत्य ना केवल अपराजित है, 

वरन सदैव सर्वत्र विद्यमान भी है !

बिडम्बना है कि

जनसामान्य इस स्वयंसिद्धा- सर्व-व्यापी

सत्य से पलायन को प्रतिपल प्रयासरत है !

इसी तरह का एक सत्य सामाजिक कुरीतियों के प्रति

  पलायनवादिता जनित सार्वजनिक अकर्मण्यता है ! 

परिणामस्वरूप ऐसी कई कुत्सित घटनाएं कुपृथायें बन 

एवं दिनोदिन नवपल्लवित हो हम सब पर आच्छादित होने को हैं !

हमारे देश का सामाजिक एवं राजनैतिक परिदृश्य भी

हमारी अकर्मण्यता के फलस्वरूप  ही 

अंधकार की ओर अग्रसर है !

सद्गुरु आगे कहते हैं कि 

 ऐसा भी नहीं है कि पूर्णरूपेण अकर्मण्यता का ही साम्राज्य हो ....

इसी समाज में कुछ चैतन्य प्रबुद्धजन

ना केवल जागृत हैं

वरन अपनी चेतन ज्योति से 

जन-जागरण हेतु प्रयासरत भी !

किन्तु

अधिकांशतः ऐसे प्रयास अधीरता एवं सार्वजनिक उदासीनता के चलते 

शीघ्र ही मंद और फिर निस्तेज होने विवश हैं !

यह आव्हान ऐसे ही

सुप्त, अर्ध्सुप्त चेतना के स्वामियों सहित

चेतन्य प्रबुद्धजनों से है कि

वे अपनी चेतन-ज्योत को मन्द होने से बचाने,

पुनः जागृत करने

एवं

अन्य चेतन पुंजों से सम्पर्करत हो 

चेतन-ज्योति को ज्वाला का रूप देने 

के उद्देश्य को दृष्टिगत रख 'स्वसासन' के जनजागरण अभियान की

अग्रणी पंक्ति में सम्मिलित होने संपर्क करें !

["स्वसासन'' तीन नागरी शब्दों के प्रथमाक्षरो से मिलाकर बनाया गया हिन्दी संक्षेपीकृत शब्द है,

और ये तीन शब्द हैं - 1. स्वप्न/स्वतंत्रता 2. साकार 3. संकल्प/ संघ, http://www.swasasan.in पर विस्तृत वर्णित है ]

'स्वसासन' विगत २५  वर्षों से सक्रिय है,

(स्वसासन की सक्रियता की सम्बद्धता 'अन्ना आन्दोलन' से भी है !)

आपके नगर में 'स्वसासन' के  'जनमंगल' अभियान हेतु आपको आमंत्रण है

"साप्ताहिक ऑनलाइन  समागम"

से जुड़ने का

जो प्रत्येक रविवार को प्रातः 7 से 9:30 एवं रात 9:00 से 11:30 बजे (यथासंभव) प्रस्तावित है !

निवेदन प्रत्येक रविवार को  निरंतरता बनाये रखने का भी है !

हमारे क्रिया कलापों में  सम्मिलित हैं -

1. व्यक्तित्व निर्माण (स्व साक्षात्कार कर अपनी निजता निर्धारण का मार्ग )

2 . व्यक्तित्व विकास (स्व साक्षात्कार से शोधित स्वयम का सहजता से सफल विकास )

3. स्वस्थ सामाजिक विकास(स्वस्थ राष्ट्रीय विकास) (स्वविकसित स्वयं के माध्यम से स्वस्थ संदेशों का संचार कर स्वस्थ-समाज/देश  के स्वप्न को साकार करने की दिशा में प्रयाण)

अन्य कलापों में निःशक्त जनों की शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी आवश्यकताओं एवं अन्य आपदाओं में 

सहयोगी बनने के सहज मार्गों की जानकारी एवं 

उत्कृष्ट प्रदर्शन कर आदर्श स्थापित करने वाले

विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं अन्य प्रबुद्ध जनों का सम्मान तथा निकृष्ट प्रदर्षन की हरसंभव रोकथाम के मार्ग प्रशस्तीकरण सम्मिलित हैं !

सभी प्रबुद्धजनों से सविनय अनुरोध एवं अपेक्षा है कि  वे शीघ्रातिशीघ्र

 'स्वसासन'में तन-मन-धन से (या तन-मन अथवा धन से ) सम्मिलित होकर 

अपनी  प्रबुद्धता का परिचय दें एवं इस पावन कार्य में सहभागी बनें !!!

आपकी तत्परता ही आपकी जागरूकता की परिचायक है !!!!! 

नोट-
सद्गुरु महाराज की अनुमति अभी केवल ऑनलाइन संपर्क तक ही है
 अतः व्यक्तिगत संपर्क की आशा ना रखें
संपर्क हेतु दी गई लिंक को क्लिक करें
अथवा कॉपी कर अन्य टैब पर पेस्ट कर खोलें-
संपर्क सूत्र (लिंक्स )-

वेबसाइट्स 

1. http://www.swasasan.in,

2. http://www.swasasan.com,

सोशल मीडिया पर 

1. http://www.facebook.com/swasasan 

2.  swasasan@twitter.com http://twitter.com/swasasan

हमारे कम्युनिटी पेजेज सोशल मीडिया पर लिंक क्लिक करने से पूर्व विनम्र अनुरोध है कि पेज का लिंक पूरी तरह खुलने पर ही लाइक करें !!!

.....ताकि आपके वोट का पूर्ण उपयोग हो सके !

....

आप सबकी मदद अपेक्षित है !

 विशेषकर '

'
तलाश गुमशुदा की' में खोये हुए व्यक्तियों को खोजने में एवं ज्ञात "खोये हुए व्यक्तियों की जानकारी प्रेषित करने में"!





 

1.   “स्व सा सन” (स्वप्न/ स्वतंत्रता साकार संकल्प /संघ)

(A Path to Real Freedom Without Holding Weapons

n Without Fighting over Streets)

https://www.facebook.com/pages/SwaSaSan/175151835899822

2.   'तलाश गुमशुदा की’ PROVE Yourself Human...

....If not yet PROVEN!!!

People need your http://www.swasasan.in/ <http://www.swasasan.com/
charchit chittransh
Founder
help in finding their LOST Loving-Ones

(I Started My WAR with Myself and now Enjoying Moments)
6.
“The Time Machine”
Invened!!!!!
(Wait a While..... to OWN Yours One…. Will shortly be..... Keep Watching Us…)

कृपया इन सभी मानवीय/ सामाजिक पहल में सहभागी बनें !


धन्यवाद् !

'चर्चित चित्रांश'

 

http://swasaasan.blogspot.com/2013/03/blog-post.html

शुक्रवार, 22 फ़रवरी 2013

मेरी ही ख्वाहिश तुम्हारी होती...

SwaSaSan Welcomes You...
मेरा हर ख्वाब तुम जीते
ऐसी ना तो मेरी किस्मत थी
ना हसरत
हद तो तब है कि
तेरे ख्वाब मेरे अपनाते ही
तेरे अदाब बन बैठे 
अब ख्वाबों के होते हुए क़त्ल
दर्द नहीं देते मुझे
ख्वाब पालने की हसरत जो मर गई है!
नहीं पालता अब मैं कोई ख्वाब होश में रहते
फिर भी जाने कब किस तरह
अनजाने में
दिल के किसी कोने में
आवारा सी
अनचाही सी
कोई ना कोई ख्वाहिश
पनपते मिल जाती है
एक पल का जोश जगाती
फिर
डराती है
रुलाती है
जब
अंजाम का ख़याल आता है
हर पलती ख्वाहिश
कहीं ख्वाब ना बन जाए डरता हूँ
इसीलिये पनपती हुई ख्वाहिशों की सासें
खुद अपने हाथों घोंट रोक देता हूँ
डर है कहीं इश्क को इल्जाम गया
तो
आशिकी में भी
नाकाम गिना जाउंगा!
कम से कम 
एक ख्वाहिश तो ज़िंदा रहे
लम्हा-दर-लम्हा मरते हुए
मेरी आशिकी जिन्दा रहे !!!

शनिवार, 19 जनवरी 2013

वो बेघर इंसानियत

SwaSaSan Welcomes You...
हिन्दुस्तान  की लाड़ली 
हिन्दुस्तान की शान
हिन्दुस्तान की जान 
और हिदुस्तान की पहचान
की तरह जानी  जाने वाली 
इंसानियत 
उर्फ़ 
मानवता 
Nee 
Humanity
पिछले लम्बे समय से 
अपने घर "हिन्दुस्तान" से लापता है!
गुजारिस है हर आम-ओ-ख़ास से 
जिस किसी को भी मिले 
अपनी औलाद की मानिंद 
अपना लीजिये 
वो बेघर 
इस  अहसान के बदले 
आपको दुआओं से भी बढकर 
जादुई नेमतें देगी !!!
Founder 



(स्वप्न साकार संकल्प / संघ ) (स्वतंत्रता साकार संघ/संकल्प )
http://swasaasan.blogspot.in/2013/01/blog-post.html#links

मंगलवार, 11 दिसंबर 2012

महान ???

SwaSaSan Welcomes You...
सभी सामान्य व्यक्ति एवं पशु
स्वभावतः स्वहित चिन्तक होते ही हैं !
अच्छे मनुष्य अपनों के हितों के (भी) चिन्तक होते हैं !
किन्तु जो सर्वजन हिताय (भी) चिंतन एवं आचरण करते हैं !
[भी- स्वहित/स्वजन हित चिंतन तो आवश्यक एवं उचित है ही!]

सोमवार, 5 नवंबर 2012

एक दिन "ख़ास आदमी" का 3 दिन कत्लेआम के ....2

SwaSaSan Welcomes You...
भाग 1 से आगे ....
अपने 'दौलतखाने' में लौटकर फिर 'न्यूज-धर्म ' खोजने लगा तो लगभग सभी चेनल पर 'सनसनीखेज ' कार्यक्रमों का समय हो चुका था। इन्हीं में से एक आई बी एन 7 पर "जिन्दगी-लाइव" चल रहा था! बंद करना चाहा मगर कर ना सका क्योंकि वहाँ जो चल रहा था उसे देख मेरा मानवता धर्म जाग उठा -

"जिन्दगी-लाइव" --- कार्यक्रम प्रस्तोता रिचा अनिरुद्ध से पहली मोहतरमा

निरप्रीत कौर मुखातिब थीं जो 1नवंबर 1984 की सुबह तक को लगभग 16-17 साल की होनहार कालेज स्टूडेंट और खुशहाल सिख भारतीय परिवार की समझदार बच्ची थी

मगर अगले दो दिनों के अन्दर वो और उस जैसी कई और भविष्य में भारत की होने वाली हस्तियाँ अपने ही वतन में अपने ही लोगों के

हाथों अपनी सरपरस्ती अपने राखी वाले हाथों को अपने सुख दुःख के पल-पल के संगी को कटते मरते

और अपने ही हाथों अरमानों से सजाये सँवारे आशियानों की चिता

में जलते ख़ाक में मिलते देखने को मज्ब्बूर अभागी अभागों में शुमार हो चुकी थीं /और कईयों हो चुके थे!

पूरे कार्यक्रम में और भी कई अपनी अपनी दास्तान

सुनाने वाली /वाले शामिल थे! बीच में दो-तीन बार मेरी पत्नी ने, ना देख पाने के कारण,

टीवी बंद करने की प्रार्थना की वे नियमित रोज वारदात दस्तक नियमित देखने वाली शेरदिल महिला हैं, मगर उनका भी आपबीती की सिर्फ दास्तानों को सुनकर बुरा हाल हो चुका था !

कुछ ऐसा ही आपका भी हाल हुआ हो अगर आप

यह देख रहे होंगे तो ...

मेरे सीने में भी शोले उठ रहे थे ना केवल उनके खिलाफ जिनके हाथों में तलवार याआग थी जो सीधे काटने या जलाने का काम कर रहे थे बल्कि उनसे 100 गुना

अधिक उनके प्रति जिन्होंने उन्हें यह काम सोंपा था उससे 10 गुना उन हरामखोरों के प्रति जो चुपचाप होते देख रहे थे जबकि उनकी रोजी ऐसे मौकों पर जुनूनियों को रोकने की अमन कायम रखने के लिए

अपनी जान तक कुर्बान करने की

और वतन के अमन के रास्ते में आये अपने पराये का भेद किये बिना मिटा देने की थी फिर भी चुप रहे वे---

और उनसे भी बड़े वे खानदानी हरामखोर जो इन जुनूनियों के आकाओं के करीबी बनने
और उनसे भी बड़े वे खानदानी हरामखोर जो इन जुनूनियों के आकाओं के करीबी बनने
की आस में इन जुनूनोयों को रोकने के अपने कर्त्तव्य के स्थान पर खुद भी इन्ही के


साथ मार काट में शामिल हो लिए !

क्या केवल उसी कत्लेआम का ऐसा सूरतेहाल था ......???

क्या हर तरह के साम्प्रदायिक दंगों में यही नहीं होता है---???

निर्दोष-निरपराध-निरीह लोगों का खून नहीं बहाया जाता है ???

फिर भी होता रहा है ....

हो रहा है .....

क्या आगे भी होते रहने देना चाहेंगे आप ???

(आप विचारिये और अपने विचार प्रस्तुत भी कीजिये तब तक यह 'ख़ास आदमी' अपने 'दैनिक धर्मों' को भी निभाने 'कलम' को विराम देने की इजाजत चाहता है !)

Charchit Chittransh

Founder
SwaSaSan

(स्वप्न साकार संघ /स्वप्न साकार संकल्प / स्वतंत्रता साकार संघ)http://swasaasan.blogspot.com/2012/11/senario-1rst-to-3rd-nov-1984.html

शनिवार, 3 नवंबर 2012

एक दिन "ख़ास आदमी" का 3 दिन कत्लेआम के ....Part 1

http://swasaasan.blogspot.com/2012/11/blog-post.htmlSwaSaSan Welcomes You...

दोस्तो;
"एक 'ख़ास भारतीय' (क्योंकि आम भारतीय तो वे लोग कहलाते हैं जो अपने महलों को गरीबखाना कहते हैं)यानी मेरे एक पूरे दिन को आप भी मेरे साथ जीकर देखिये फिर बताइये हम दिलवालों को 'हमारे भारत' पर फख्र क्यों (ना) हो !
कल सुबह अपने सबसे पहले धर्म परिवार के भरण-पोषण के हेतु अपने बन्धुआ कर्त्तव्य, (गवर्नमेंट लिमिटेड कंपनी कार्यालय जहां मैं अधिकारी के रूप में कार्यरत हूँ जिसका नियमित कार्यकाल 11 बजे दिन से शाम 6 बजे है, एवं जहां से त्यागपत्र स्वीकृति हेतु वर्षों से प्रयासरत हूँ) पर सुबह 8 बजे पंहुचा और अपने दुसरे आवश्यक 'पडौसी धर्म' को निभाने यानी 'विधर्मी' पडौसी के बेटे की शादी में सम्मिलित होने के उद्देश्य से कार्यालय से जल्दी (?) रात 9:30 पर निकला ! मेरे कार्यालयीन हालात इतने बदतर इसलिए हैं क्योंकि मेरे विभाग में 30-40% रिक्तियां वांछित योग्य उम्मीदवार 'भारत में अनुपलब्ध' होने के कारण रिक्त हैं (ध्यान दिलाना चाहूँगा - सामान्य शैक्षणिक योग्यता धारकों को भारत की सर्वोत्कृष्ट वेतन-भत्ते और आकर्षक पदोन्नति आदि सेवा शर्तों में हैं यहाँ; केवल 'मलाई' अनुपलब्ध!!)!!! क्या मुझे शर्मिन्दा नहीं होना चाहिये---
घर आते ही अस्वस्थ बीबी को शादी में साथ चलने मनाकर उसके तैयार होने तक, jजागरूक रहने का अपना
धर्म निभाने और तरोताजा होने 'न्यूज' देखनी चाही, वही ओछी व्यक्तिगत छींटाकशी के अलावा कुछ ना था कोई राजनेता अपनी प्रेयसी पर अधिक खर्चने के समर्थन में तर्क दे रहा था कोई दूजा तीजे की शादी के बाद पलटकर पत्नी को ना देखने पर प्रश्न उठा रहा था! यानी मेरे भारत में मुख्य समस्याएं केवल व्यक्तिगत ही शेष हैं ! क्या मुझे देश के इस राजनैतिक सूरतेहाल पर शर्मिन्दा नहीं होना चाहिए !
'हम दोनों ' शादी में गए शाकाहारी भोजन किया, मेजबान और बाकी पडौसियों से हंस-बोल कर 20-25 मिनट में फुर्सत हो गए (क्योंकि विधर्मियों के समारोह में पडौसियों के अलावा बाकी मेहमानों के लिए हम 'बाहरवाले' थे और बाहरियों में उस समय अकेले)! समझ नहीं आया फख्र करना चाहिए या फिक्र ....
(...निरंतर अगले भाग में ) 
Founder
SwaSaSan
(स्वप्न साकार संघ /स्वप्न साकार संकल्प / स्वतंत्रता साकार संघ)http://swasaasan.blogspot.com/2012/11/blog-post.html

रविवार, 19 अगस्त 2012

चुनाव 2014 के मतदाताओं से ...

SwaSaSan Welcomes You...
निवेदन!!! चुनाव-2014 के मतदाताओं से ...
मित्रो;
जैसा कि नाम से स्पष्ट है
"स्वसासन" का उद्देश्य
वास्तविक स्वतंत्रता की प्राप्ति ही है !
वह भी बिना सशस्त्र संघर्ष के
बिना सड़कों पर इकट्ठा होकर नारे लगाए !
हालाँकि  'हम भारतीय'  वास्तविक कम बनावटी अधिक हैं...
ऐसा 2013 में विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों के परिणामों से स्पष्ट हुआ !
अभी कुछ ही दिनों पहले
हममें से अधिकाँश भारतीय (?)
'मैं भी अन्ना', 'मैं भी अरविंद', 'मैं भी आम आदमी' कहते नहीं थक रहे थे !
यानी भारतीय जनमानस
9० से भी अधिक प्रतिशत
बहुमत के साथ
"भ्रष्टाचार" के विरुद्ध था !
इनमें उन राज्यों के नागरिक भी थे
जिनमें 2013 में आम चुनाव हुए थे  !
देख लिया सबने कि
हम भारतीयों की
कथनी और करनी में
कितना बड़ा अंतर है ???
अभी तक का चुनावी इतिहास भी
 यही बताता है कि
साढ़े चार - पौने पांच साल रोते रहने वाला मतदाता
चुनाव आते ही अपने
अपने बाहुबली आकाओं का अंधभक्त हो
उनकी जीत के लिए
कमर कस तत्पर हो जाता है !
भले चुनाव के पहले उसे कभी
उस "बाहुबली नेता " से
कोई काम ना पड़ा हो
भले उस नेता ने
पिछले चुनाव के बाद
और
इस चुनाव के सर पर आने से पहले
या जीवन में कभी भी
उसे कभी कोई महत्व ना दिया हो,
भले उसकी स्थिति
उन बाहुबली की नज़रों में
कुत्ते की सी हो
मगर उसी  मतदाता को
उन बाहुबली के द्वारा
नाम लेकर पुकारने मात्र से
या  व्यक्तिगत रूप से फोन कर
या  घर आकर
या  मोहल्ले की सभा में
"अब सब तुम्हारे ही हाथ में है "
कह देने मात्र से
ऐसी प्रसन्नता मिलती है
जैसे कुत्ते की गर्दन पर
बहुत दिनों बाद मालिक के हाथ फेरने से
कुत्ते को होती है !
(.....और कुत्ता निहाल हो मालिक के तलवे चाटने लगता है !)
मुख्य राजनैतिक द्वारा दलों का वर्षों से यही

दुस्साहस (मतदाता  को कुत्ता समझने का) इस जागृत जन-मानस वाले माहौल में भी
जारी रहा ...
हर बड़े राजनैतिक दल के प्रत्याशियों में बड़ी संख्या में
गंभीर अपराधों के आरोपी सम्मिलित थे   !
कई तो गैर जमानती अपराधों के आरोपी होने कारण
जेल में रहकर ही चुनावी रण का संचालन कर रहे थे  !
आप में से अधिकांश अन्ना-अन्ना करते हुए
"राईट टू रिजेक्ट "
और
"राईट टू रिकाल"
का समर्थन कर रहे थे !
किन्तु जब सामने अवसर था तो
रिजेक्ट की जगह सिलेक्ट कर दिखाया !!!!!!!!!!!!!!
जी हाँ !
"राईट टू रिजेक्ट" शुरु से ही आपके पास रहा है...
उनके विरुद्ध उपयोग करने के लिए
जिनको जरा जरा से प्रलोभनों में पड़कर
पिछली बार भी चुनने की गलती आपने की थी !
और "राईट टू रिकाल"
उनके लिए जो अपनी ताकत
और गुंडों की सेना के दम पर
चुनाव जीतकर आज भी
इस गुमान में हैं कि
उस क्षेत्र में उन्हें कोई हरा ही नहीं सकता !
जो क्षेत्र विशेष की सीट को अपनी जागीर समझे बैठे हैं !

'राईट टू रिजेक्ट ' और 'राईट टू रिकाल ' 
कानून बनने का  ही इन्तजार  क्यों  ???
अभी भी था/है आपके पास...
उपयोग करते/कीजिए !
स्वयं ही परिवर्तन के सूत्रधार बनते/बनिये !
"राईट टू  रिजेक्ट " कानून तब जरूरी होता
जब सीमित राजनैतिक दलों को ही
चुनाव लड़ने की पात्रता होती !
क्या जरूरी है...
कि किसी  'विशिष्ट'  राजनैतिक दल के
प्रत्याशी को ही वोट दिया जाए ?????
क्या कभी कहीं कोई ऐसा चुनाव क्षेत्र भी रहा है...
जहाँ कोई भी  "सभ्य / सुसंस्कृत"  उम्मीदवार
क्षेत्रीय दलों/ निर्दलीयों में भी ना रहा हो ?????

*(निर्दलीय को भी विकास मद में उतनी ही
सांसद / विधायक निधि मिलती है जितनी अन्य दल
के टिकट पर जीतकर आये सदस्य को !)*

जीतने वाली पार्टी का भी आप केवल अनुमान ही लगा
सकते हैं !
हो सकता है आपके दिए वोट से आपके पसंदीदा दल की  सरकार बनी हो
और
यह भी हो सकता है कि वह दल विपक्ष में बैठा हो !!!
फिर क्या जरूरत है...
किसी पारंपरिक राजनैतिक दल के 'आपराधिक' प्रत्याशी को ही मन  मारकर चुनने की ???
फिर भी चुनना है तो चुनो
आगे भी चुनते रहो 
मगर फिर बढ़ते अपराधों
और भ्रष्टाचार की दुहाई मत दो  !!!
क्योंकि
भ्रष्टाचारी, बलात्कारी, हेराफेरी करने वाला, घोटालेबाज, लूटेरा, 
हत्यारा, गुंडा, जैसा अपराधी  छवि / पृष्ठभूमि धारी ,
प्रत्याशी को  चुनकर / सत्ता सौंपकर
आप स्वयं उन्हें, आपके साथ / आपके अपनों के साथ
ऐसे ही अपराध करने
अधिकृत कर रहे होते हैं और आमंत्रित भी !!!!!
आप स्वयं भी तो अपराध ही कर रहे हैं ...
ऐसे भ्रष्टों को आपके अपनों के साथ
भ्रष्टाचरण, बलात्कार, लूट, हेराफेरी जैसे अपराध करने का लायसेंस देकर !!!
जागिये !
संभलिये !!!
कुत्ते मत बनिए !!!!!
सदा सोच समझकर वोट दीजिये !!!!!!!
अपने मताधिकार का

सोच समझकर ही
''सही प्रयोग"
अवश्य कीजिये !!!!!!!!!!
"सही मतदान आपका महत्वपूर्ण कर्तव्य है!
 और सर्वाधिक मूल्यवान अधिकार भी है!!!"
धन्यवाद !!!!!!!!!!!!!!!!!!!
जय हिंद !
जय भारत !!!
वन्दे मातरम्!!!!!

-चर्चित (http://swasaasan.blogspot.in,  http://swasasan.wordpress,com )

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