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सोमवार, 26 सितंबर 2011

मैं और मेरा देश

SwaSaSan Welcomes You...

मैं और मेरा देश 

अक्सर हम हमारे देश और समाज की कुरीतियों, कुशासन  कुप्रबंधन , कुप्रथाओं
और कपट आदि पर खुलकर खुन्नस निकाल रहे होते हैं ! हमारी इस हरकत के हामी
हमसे हमारे कई साथी भी मिल जाते हैं किन्तु ..... कभी खुद अपने आप पर सोच
कर भी देखा जाए !
हमारे देश , समाज, गाँव , शहर, कुल , परिवार और खुद अपनी दुर्दशा के दोषी
स्वयं हम भी कम नहीं निकलेंगे !
उससे भी बढ़कर बिडम्बना यह की हमेशा सुधरने की अपेक्षा दूसरों से , सुधार
की अपेक्षा दूसरों से , क्रान्ति की शुरुआत की अपेक्षा दूसरों से,
आन्दोलन / समर्थन / सहयोग की अपेक्षा भी दूसरों से ही किन्तु उपभोग के
समय हम खुद को सबसे बड़ा अधिकारी मानते हैं !
क्यों ????????????????????????

 

 

सोमवार, 19 सितंबर 2011

नीतीश कुमार , मोदी जी और अमेरिका का हम पर प्रभाव !

नीतीश कुमार , मोदी जी और अमेरिका का हम पर प्रभाव !
किसी अमेरिकी रिपोर्ट में मोदी जी को विकास का पुरोधा कहा गया है !
बस इतना काफी था हम भारत वासियों को ?
सब के सब मोदी जी को ऐसे अगले प्रधान मंत्री के रूप में देखने लगे
जो देश को भी गुजरात की तरह प्रगति पथ पर ले जाएगा !
मैं अमेरिकी एजेंसी और मोदी जी
दोनों की योग्यता पर अविश्वास का कोई कारण नहीं पाता हूँ !
किन्तु उस एजेंसी के उत्तमता घोषित करने के मापदंड उचित नहीं लगे !
क्योंकि , गुजरात आज से नहीं वर्षों पूर्व से ही व्यवसाइयों की
विशेष विचारधारा का गढ़ रहा है !
विशिष्ठ जनों की जन्मभूमि !
जिनमें गांधी जी से युग पुरुष भी थे
और अम्बानी जी से क्रांतिकारी व्यवसायी भी हुए !
गुजराती (मारवाड़ी) व्यवसायी सारे देश ही नहीं सारी दुनियां में
सफल व्यवसायी के रूप में जाने जाते हैं !
ऐसा प्रदेश यदि विकास दर में दुसरे प्रदेशों से आगे है तो
यह भी देखना होगा की बाकी देश में भी विकासदर में बढ़ोतरी जारी है !
यानी परिस्थितियाँ काफी कुछ विकास के अनुकूल निर्मित हुई हैं !
किन्तु भारत में एक ऐसा भी प्रदेश हुआ करता था
जहाँ केवल जंगल राज चलता था !
जी हाँ नीतीश से पहले का बिहार !
नीतीश जी के शासन काल में वहां जंगलराज की तस्वीर बदल कर
विकास की तस्वीर बन रही है ,
वह देखने के मापदंड थे ही नहीं अमेरिकी एजेंसी के पास !
यदि विपरीत परिस्थितियों और अन्य क्रियाकलापों को ध्यान में रखते हुए
ईमानदारी से विचार करें तो मोदी जी से पहले
सर्वप्रथम नीतीश कुमार जी का नाम लिया जाना चाहिए ,
फिर संशाधन विहीन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज जी का
तब मोदी जी का नंबर आता है !
यह एक सुखद संयोग है की तीनों भाजपा के हैं
या भाजपा के सहयोग से पद पर हैं !

बुधवार, 14 सितंबर 2011

हिंदी के दुश्मन खुद हिंदी भाषी ! -1

SwaSaSan Welcomes You...
1- (कैसे )
 हिंदी  दिवस पर...
हिंदी की  दुर्दशा के  दोषी  हम  हिंदी  भाषी स्वयं  ही  हैं  !
जी  हाँ ! मैं  मेरे  सिद्धांतों  के  विरुद्ध  आज  इस  अवसर  पर  नकारात्मक  कहने  को  विवश  इसीलिये  हूँ  की  आज  के  दिन  शायद  हिंदी  में  लिखा  हुआ  पढ़ने  में  हिंदी  भाषियों  को  रूचि  हो !
 ये  मेरा  फलसफा  नहीं  कटु  अनुभव  बोल  रहा  है !
आपको  प्रसंगवश  बताना  आवश्यक  है  की  मेरे  लिखे  लेख  ' मेरा  राज  देश  पर  तो  देश  का  दुनियां  पर  ' के  लिए  मुझे  ' राष्ट्रीय  रत्तन  अवार्ड -2009 ' हेतु  ' सिटिज़न्स   इंटीग्रेशन एंड  पास  सोसाइटी  इंटर्नेशनल ' द्वारा  आमांकित  किया  गया  था . ( इस  संस्था  का  मुख्यालय  USA में  है  और  लेख  के  अंश  SwaSaSan पर  ) . मैं  अर्थाभाव -वश  समय  पर  ना  तो  फोटोग्राफ  आदि  जानकारी  भेज  सका  ना  समारोह  में  सम्मिलित  होने  दिल्ली  तक  जा सका ! किन्तु  इस  नामांकन  से    प्रेरित  हो  मेरा  ब्लॉग  स्वशासन  और  बाद  में  वेबसाइट  ( हिंदी  ) शुरू  की  ! पिछले   16 ऑक्ट  2010 से  आज  तक  मेरे  ब्लॉग  पर  कुल  लगभग  980 क्लिक  हुए  हैं  ! मुझे  मेरे  ब्लॉग  के इन आंकड़ों  के  विश्लेषण  से  आश्चर्य  दुःख  और  घोर  निराशा  होती  है  ! इसीलिये  नहीं  की  गिनती में कम  हैं  वरन  इसलिए  कि  इनमें  से  आधे  से  अधिक  विदेशों  से  हैं ! मुझे  दुःख  है  कि  कनाडा  और USA की  एक  से  अधिक  वेबसाइट  मेरा  प्रचार  कर  प्रोत्साहन का प्रयास  करती  हैं  ! सबसे  ज्यादह  USA में  मुझे  पढ़ा  जाता  है  !
चलिए  बात  यहीं  तक  होती  तो  भी  ठीक था  किन्तु  आगे  जो  लिखने  जा  रहा  हूँ  वह  या  तो  मेरा  दुर्भाग्य  है  या  हमारे  कुंठाग्रस्त  समाज  की  विकृत  बिडम्बना !
मई  मार्केटिंग  में  राष्ट्रीय  स्तर  पर  सम्मानित  किया  जा  चूका  हूँ  तो  निश्चय  ही  मेरा  परिचय  क्षेत्र  विस्तृत  होगा  ही ! मेरे  परिचय  क्षेत्र  के  लगभग  हर  व्यक्ति  से  ( जो  हिंदी  और  नेट   की  समझ  रखते  हों  )
ब्लॉग  पर  जाकर  पड़ने और  उनकी  समस्याओं  के समाधान पाने  का विश्वास दिलाया  किन्तु ....  करीब  3-3.5 हजार  लोंगों  में  से  किसी  से  भी  या  तो  ब्लॉग  पर  जाना  नहीं  हो  पाया  या  आधे  से  अधिक  ने  हिंदी  ठीक  से  समझ  ना  आने  की  विवशता जताई !
मुझे  लगा  शायद  हमारे  देश  में  इन्टरनेट  के  प्रति  जागरूकता  की   कमी  है  इसीलिये  लोगों  की  रूचि  कम  है सोचकर  मैने  मेरे  बहु-उपयोगी  ढाई   पेज  के  लेख  ' सुख  के  साधन  ' की  50 प्रतियाँ  छापकर  मेरे  कार्यालयीन  सहयोगियों  और  परिचितों  में  से  केवल  उन  जरूरतमंदों  को  दी  जिन्हें  इसकी  पढ़ने  की  सख्त  जरूरत  मुझे  महसूस  हुई  ! पिछले  6 माह  में  से  केवल  2 व्यक्तियों  ने  ही  पढ़ना  स्वीकार  किया  ( कहा हाँ  यही  सच  है  सुख  हमारे  अपने  हाथ  में  है हमारे गुरूजी भी यही कहते हैं ) शेष  48 को  ढाई  पेज  पढ़ने  का  समय  नहीं  मिल  पाया ! और इनमें वे लोग भी शामिल हैं
जो मार्गदर्शन लेने ही मेरे पास आये थे ! 
अधिकांश लोग अपने बच्चों की समस्या मेरे सामने रखते हुए सलाह के रूप में ( मुफ्त )ऑनलाइन ब्लॉग बच्चे को पढ़वाने की सलाह शुरू से नकारते हुए बहुत इतराते हुए कहते हैं -
  " हिंदी में है ? हमारे बच्चे तो हिंदी के नाम से ही चिड जाते हैं !"
" शुरू से इंग्लिश मीडियम में ही पढ़े हैं ना ! "
" अब हिन्दी कौन पढ़ता है ? "
" बस अ आ इ ई तक ही सीख पाए फिर जरुरत ही नहीं पड़ी ! "
" जनरल हिंदी में पास होने लायक आ जाएँ "
" और कोई उपाय बताइए ... जो खर्च लगेगा हम कर लेंगे !"
यहीं से मेरा दिमाग घूम जाता है 
[और मैं उनसे नम्रता से चले जाने को कह देता हूँ ! ]  
   मेरे कार्यालयीन नए सहयोगी उनहत्तर , उन्सठ, उनचास 
में भ्रमित हों तो चल जाए किन्तु पेंतालिस की अंग्रेजी में 
गिनती फार्टी फाइव भी उन्हें बताना पड़ती है !
तब अपने भारतीय
[ होते हुए जूता उतारकर ना मार पाने की मजबूरी के कारण  ] होने पर सचमुच शर्म आती है !!!
  [ मेरा तंत्र के विरुद्ध आक्रोश और अकेलापन 
मुझे तीन तीन बार सड़कों पर ला चूका है !
किन्तु पछतावा नहीं है मुझे !
ईश्वर , समुन्दर की लहरों सा होंसला और ताकत बनाये रखे बस !]
मेरे आक्रोश पर भी आक्रोश आता है मुझे 
क्योंकि जिनपर मेरा गुस्सा है,
क्या वे ही लोग जिम्मेदार हैं इस स्थिति के लिए ???
सोचता हूँ तो केवल 10 % दोष उनका पाता हूँ !
शेष 90 % तो वही तंत्र जिम्मेदार है !!!!!!!
(मित्रो; क्षमा करें ! कुछ आकस्मिक विवशता आ गई है अतः शेष अगले भाग में , अगले सप्ताह तक !) 

मंगलवार, 12 जुलाई 2011

Prediction Became True !

SwaSaSan Welcomes You...
This was published on June 24 '11 by me , Yesterday's UNFORTUNATE Rail Accident came as per my 2nd prediction.
First prediction seems to be real between July 17th and 23rd.
The 3rd seems to be real before Dec '11  
Prediction-1 

I am getting signals of some disasters coming towards Indian subcontinent -
1. An Earthquake above label 6 is alarming in subcontinent !
2. An Explosion / Accident / Human Act 
is going to affect 
hundreds of people physically ! 
3. Surprisingly Heads of State/ Nation / Political Parties / Institution or going to substituted !
 

रविवार, 10 जुलाई 2011

ACTUAL INDEPENDENCE !!!

SwaSaSan Welcomes You...
वास्तविक आज़ादी की ओर ...
स्वसासन 
आजाद भारत के हम आजाद नागरिक
केवल मनमानी करने की आज़ादी [???]
को ही आज़ादी ना मानें !
हमारे कुछ बुनियादी अधिकार हैं तो 
कुछ आवश्यक कर्त्तव्य भी !
.
वास्तविक आज़ादी के लिए हमारा जागृत होना आवश्यक है .
स्वसासन इस दिशा में प्रयत्नशील है !
स्वसासन के सुझाव /मांगें / घोषणा पत्र 
कुछ इस तरह हैं -
.
आनलाइन वोटिंग 
.
[ ताकि व्यस्त एवं अनिच्छित वोटर भी आने वोट दे सकें !
यदि वर्तमान सरकार व्यवस्था नहीं कर सकी तो स्वसासन समर्थित सरकार अवश्य करेगी  ]
.
संविधान में आवश्यक उचित संशोधन 
.
[हमारा संविधान उच्च कोटि के प्रावधानों से परिपूर्ण तो है
किन्तु इन के कठोर परिपालन सुनिश्चित करने हेतु अभी भी कुछ सुधार  आवश्यक ]
.
सुचारू शासकीय कार्य सम्पादन  
.
प्रत्येक शासकीय /अशासकीय कार्यालय में कार्यवाही सुनिश्चित करना 
[शासकीय कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा अपने वेतन को आय का मुख्य  श्रोत  नहीं मानता
ऐसे कर्मचारियों से निजात हेतु
पुलिस अदि विभागों में उचित वेतन,सुविधा, सेवा शर्तें व
  उचित कार्यसम्पादन हेतु तत्पर कर्मियों को ही सेवा लाभ ]
कुशल अधिकारी, कर्मचारी, राजनीतिज्ञ, नागरिक को
बड़े पारितोषिक  की व्यवस्था 
एवं    

भ्रष्ट / असक्षम/ या /लापरवाह  अधिकारी, कर्मचारी, राजनीतिज्ञ, नागरिक को
कड़े दंड की व्यवस्था
.
 सुलभ एवं सुनिश्चित न्याय 
.
न्यायपालिका से १००% सुनिश्चित न्याय
[हजार दोषी छूट जाएँ पर किसी निर्दोष को सजा ना हो !
को बदलकर 
'ना कोई निर्दोष सजा पाए ना कोई दोषी छूट पाए '
पर लाना ]
.
केवल इतने सुधार भी हो जाएँ तो देश दस गुनी तेजी से 
प्रगति पथ पर चल पड़े 
किन्तु बिना आप सबके जागरूक सहयोग के 
ऐसा कोई सुधार नहीं हो सकता !
इन विचारों के समर्थक 
/
नए रचनात्मक सुझावों के स्वामी 
संपर्क कर रूचि प्रदर्शित करें 
/
स्वप्न साकार संघ की सक्रिय सदस्यता लें !
प्रत्येक बिंदु पर विस्तृत अगली कड़ियों में ...

शनिवार, 9 जुलाई 2011

THE TIME MACHINE REVEALED !!!!!!!!!

SwaSaSan Welcomes You...
Believe It Or Not 
BUT.....
THE TIME MACHINE REVEALED !!!!!!!!!
Just Think !!!
If so called Time Machine could made real !
Many of us would like to become King of The Universe !
Many of us would like to fulfill their Ambitions !
Many of us would like to become Master of Rest of The World !
Many of us would like to ruin many others !
Just by pushing a button ! 
NOW ALL ABOVE CAN MADE POSSIBLE !!!
[Excluding harm others ]
but with some limitations ! . 
The Time MachineThis is only a Process of 
Making You By Your Own !
You Can Do With This-
Whatever may your wish !
Visit your Past !
Repair Your Past !
Make Pleasant Your Present !
Make Your Destiny Your Own !!!
SwaSaSan is going to avail all this
on your e-mail at a nominal cast !
Make Haste .....
First 1111 needy will get it @50% Price !
.
Mail To
swasasan@gmail.com
swasasan@yahoo.com

रविवार, 3 जुलाई 2011

न्याय ! कैसा न्याय ???

SwaSaSan Welcomes You...

भारत में न्याय व्यवस्था के विगत उदहारण चीख चीख कर कह रहे हैं 
जनसामान्य शोषण को तैयार रहे !
न्याय केवल वशिष्ठ जनों अथवा धनकुबेरों के साथ किया जाएगा !
उनके अनुसार किया जाएगा !!! 
अभी हाल का नीरज ग्रोवर मामला हो 
या विगत जेसिका लाल ,भारती यादव, प्रोफ़ेसर सभरवाल या कई अन्य मामले 
जिनमें दोषियों को सजा दिलाने में जन आन्दोलन भी असफल रहे !
इस तरह के कई ऐसे मामले हैं जिनमें 
पीड़ित परिवार ने वर्षों तक अपनी हर साँस के साथ निरंतर 
न्याय पाने की कोशिश जारी रखी !
क़ानून कमजोर नहीं है देश का 
Incredible story of social justice in इंडिया
किन्तु भ्रष्ट व्यवस्था के चलते

न्यायालय तक साक्ष्यों को बिना तोड़े मरोड़े नहीं  पंहुचाया जा सकता !
यह सड़ी गली व्यवस्था निकट भविष्य में बदलती नहीं दिख रही !
ऐसे में यदि दुर्भाग्य से कोई आम आदमी पीड़ित होता है 
तो परिजनों को अपनी औकात पहचानते  हुए 
या तो खून के आंसू के घूँट पीकर चुपचाप बैठ जाना चाहिए 
अथवा 
किसी एक परिजन को दोषी को सजा देने / दिलाने का कार्य सोंपकर 
उस परिजन को हर पारिवारिक जिम्मेदारी से मुक्त कर देना चाहिए !
ताकि परिवार का हर सदस्य पलपल तिलतिल कर मरते हुए 
न्याय पाने की मृगमरीचिका में वर्षों तक कई कई बार ना मरता रहे !
   

शुक्रवार, 24 जून 2011

"हमारा राज देश पर तो देश का दुनियां पर"-4 ["वास्तविक स्वराज " ]

SwaSaSan Welcomes You...
  ["वास्तविक स्वराज " ]

देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, कुशासन का सबसे काला पहलु है
 जिसके विरुद्ध कई जगह से आवाज उठाई जा रही है 
जिनमें से एक नक्सल भी हैं .
नक्सलवाद का प्रारंभ भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनांदोलन के रूप में हुआ 
किन्तु हमेशा की तरह राजनैतिक नेतृत्व के प्रवेश के साथ 
यह आन्दोलन पथभ्रमित हो गया .
नक्सलियों का उद्देश्य यदि भ्रष्टाचार का खात्मा और विकास के मार्ग पर बढ़ना होता
और वे बन्दूक की बजाय सत्याग्रह जैसी गोली चलाते  होते 
तो स्वसासन भी उनके साथ होता .
स्वसासन भी देश से हर उस बुराई को दूर करने संकल्पित है

"हमारा राज देश पर तो देश का दुनियां पर"-3

SwaSaSan Welcomes You...
[वास्तविक आज़ादी की ओर ...]
    आज सोसायटी में बहस का सबसे अहम् मुद्दा भ्रष्टाचार ही रहता है. 
किन्तु हम केवल दुसरे की ओर ही अंगुली उठाते रहते हैं.
खुद अपने अन्दर झांकना आता ही नहीं  है हमें !
वे सभी, जो आम जनता समझे जाते हैं,
सर्वाधिक भ्रष्टाचार पीड़ित होते या समझे जाते हैं 
किन्तु जिम्मेदार भी वही आम जन हैं,
इस भ्रष्टाचार की  महामारी को बढ़ाने में !

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