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बुधवार, 16 मार्च 2016

जाने जज्बात क्या उकेरे होंगे....

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

खत तेरा था, या थी दास्ताँ, दिलों की दुश्वारियों की.... 
लिखा कुछ भी हो तूने पढ़ने को हर्फ मिले नहीं.... 
स्याही से गहरे मायने धुले निशाओं में मिले.... 
 दिल की गहराई से फिर बरसात वो बरसी होगी ....
 हर हर्फ मिटाकर जिसने दास्तांनें कही मुझसे.... 
 हर्फों को धोने वाली बरसात बड़ी नादाँ निकली .... 
दास्तां दिलों की, दिल ने, दिल से पढ़ ली, सुन ली..... 
 जब भी इरादा हो अब कागज ना कलम लेना ... 
हर आह हर सिसकी सुनाई देती है मुझे.... 
परेशां हो तुम तो हाल यहां भी ठीक नहीं.... 
ये दीगर है कि मेरी आह तुम तक जाती नहीं....
आरजू है कि हवायें तेरी तरफ बहें ... 
मेरे दर्द भरे गीतों की कसक तुम तक तो पहुँचे....
 जान सको तुम कि कोई चैन का पल जिया ना गया .... 
दूर होकर जिन्दा तो हैं पर पल भर जिया ना गया....
हमको कब कहाँ कोई शिकवा रहा कभी तुमसे .... 
मजबूर जीने वाले, मजबूरियों की समझ रखते हैं.... 
#सत्यार्चन
 ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

ये इश्क ऐसी शै है

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर ....  
--:ये इश्क ऐसी शै है:--

क्या समझेंगे भला वो, इश्क की गहराई
जो एक सूरत के इश्क में, सीरत मिटा लेते हैं!
.

कब-कब कितना आया किये,
  तुम दर तक मेरे
दरवाजों ने चुगली
हर बार मुझसे की ...
हवाओं से ही कभी कोई
ख्वाहिश जता जाते
  दरवाजे मेरे फिर,
कभी बंद ना मिलते....
..

दिल के हाथों मजबूर हो
मेरे दर तक आ ही पहुँचे
 दो घड़ी तो साथ बैठ लो      
लौटकर जाने से पहले.
....
निकल कर ख्वाब से कभी
मिल तो लो हकीकत में ...
फिर अख्तियार में हो तुम्हारे
तो छोड़कर चल देना!!!

....

ये इश्क ऐसी शै है
चुपके से वार करती है
फिर हासिल होता कुछ नहीं
मीत  ना मिल पाये
या मिल जाये तो भी !!!
.

..... एवम् अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

बुधवार, 20 जनवरी 2016

भारतीय अंग्रेज प्रशासन जारी है... 100 साल बाद भी

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर... एवम् ...

जारी है ... 100 साल बाद भी
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------
मैं 'नरेन्द्र'  की आत्मा
 आज यहाँ से, स्वर्ग से, पूर्ण पूर्वाग्रह रहित होकर देख पा रहा हूँ ...
भारत! जो मेरा भारत हुआ करता था 
आज भी लगभग वहीं है ...
जहाँ मैंने छोड़ा था!!!
आज भी मेरे भारत वंशी वैसे ही भोले, सरल और सहज हैं
जैसे  आज से 100 साल पहले थे!
100 साल पहले जब मुझे 'विश्व धर्म संसद' में
भारत का प्रतिनिधित्व करने का
 ऐतिहासिक अवसर मिलना शेष था....
 तब मेरे 'भारत' के लिए
अंग्रेज ही 'साहब' हुआ करते थे।
अंग्रेजों की अंग्रेजी में बारंबार दी जाने वाली गालियों
(निकृष्ट, गँवार और दो-दो पैसे में बिकने वाला) को
भारत ना केवल अंगीकार कर चुका था, बल्कि नियति भी मान चुका था।
उनके लिए केवल अँग्रेज़ और अंग्रेजी जानने / बोलने वाले ही

मंगलवार, 12 जनवरी 2016

क्या सही क्या गलत- 1 - पथ संचलन

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
क्या सही क्या गलत- 1 - (पथ संचलन)
पिछले दिनों 'स्वसासन्' (स्वप्न साकार सन्घ) पर
एक श्रंखला प्रारंभ की गई है
इसके पहले भाग में
यातायात जागरूकता हेतु 'सड़क सुरक्षा सप्ताह',
11 से 20 जनवरी, पर
हम चर्चा करने जा रहे हैं
सड़क पर परंपरागत पैदल चलने के ढंग में सुधार पर
विगत 2015 के ही वर्ष में केवल भोपाल में ही
279 पैदल चलने वालों / वाहन सवारों की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हुई है.
विचार योग्य है..... आइये देखते हैं!
हमारे  देश में बायें हाथ की ओर यातायात की व्यवस्था है
किंतु पैदल यात्री को सड़क के दोनों ओर से
दोनों दिशाओं की ओर फुटपाथ पर चलने की सुविधा स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है.
फुटपाथ हों तो पैदल चलने के लिये केवल फुटपाथ का ही उपयोग किया जाना चाहिये
किन्तु जहाँ फुटपाथ उपलब्ध नहीं हैं
और जब हम प्रातः/ सायंकालीन भ्रमण पर हों
तब हमारा सड़क के दायीं ओर (पैदल) चलना ही
सर्वथा उचित, उपयोगी एवं सुरक्षित है!
फुटपाथ रहित सड़क पर चूंकि वाहन यातायात बायीं ओर होता है

बुधवार, 30 दिसंबर 2015

गुरु - एक विचार

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ...
गुरु - एक विचार
"गुरु" वह विचार है जो अनुचित और उचित का अंतर बताता है!
जिस व्यक्ति, पुस्तक या आख्यान से
आपके अब तक के अनुत्तरित प्रश्न का उत्तर मिल सके
या जो अनौखा प्रश्न प्रस्तुत करे
वह ही गुरु है
इससे इतर और कुछ नहीं !
निश्चय ही माता-पिता सबके प्रथम गुरु हैं
फिर अक्षर ज्ञान दाता से लेकर हर वह व्यक्ति
जिसने जब कभी आपके अनुत्तरित प्रश्न का समुचित उत्तर दिया हो
वह गुरु ही तो है!
गुरु यानी ज्ञान का भंडार

मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

काम हम भी आये थे!

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
साँस दर साँस
लम्हा दर लम्हा
दो जिस्म एक जान
की तरह जीते-जीते 
एक दिन अहसास हुआ
भ्रम है यह!
जिस्मों की ही तरह
जानें ही अलग ना थीं
जुदा तेरे ख्वाब भी थे !
 फिर भी हमारी लाचारी 
अपनी उम्र सारी
तेरे ख्वाबों की ताबीर हम तराशा किये!
तेरे हर सुनहरे ख्वाब में,
खुद का पैबंद

शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015

सम्हलता कहाँ है

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
सुबह तो हो जाये मगर
 वो जागता कहाँ है?
भूल फितरत इंसां की,
 इंसां मानता कहाँ है?
मन में जीवित हो यौवन
तो कभी ढलता कहाँ है ?
यौवन में युवमन सम्हाले
किसी से सम्हलता कहाँ है ?
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

ऐसे अब जज्बात कहाँ?

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

जलते शोलों को लिख पायें
शब्दों की औकात कहाँ?
कह डालें अनकहे बोल सब
ऐसे अब जज्बात कहाँ?
बिन बोले कह दें
सुन लें गुन लें
#सत्यार्चन 
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

बुधवार, 16 दिसंबर 2015

इतराया किये उम्रभर ....

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
आशना थे वो अक्स के
ना समझे थे...
हम दर्पण थे ,
बेवजह ही हम,
गिर के टूटे, एक बार
हो चूर-चूर  बिखर गये ....
अब रास्ते की धूल हैं... 
राहगुजर ये उनकी हैं
गुजरते हैं वो हमें छूकर
इतराने का एक और नया
बहाना हमको मिल गया!!!
आशना थे वो अक्स के
ना समझे थे...
हम दर्पण थे ,
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

हक मांगने की जुर्रत...

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
किस्मत में क्या लिखा उसने,
कहकर भी सुना दिया....
मूश्किलों से मत डरना !
हक के लिये, सदा लड़ना!!
जो चाहोगे पा जाओगे!!!!
जिद, जिद की तरह करना!!!!!
हम डरे नहीं ... हम गिरे नहीं ...
पर जिद हो सकी ना कभी हमसे ...
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

शनिवार, 12 दिसंबर 2015

बर्दाश्त

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
बर्दाश्त
नाकामयाब इश्क का, इक ये भी असर हुआ
दुनियां के बड़े आशिकों में, नाम अपना भी शुमार है!
.
मेरे दर्द से तू गाफिल हो, बर्दाश्त से बाहर था
अच्छा हुआ खतावार मेरे, दर्दीले अहसास ही निकले!
.
मेरे दर्द से बेखबरी तेरी, हो ही नहीं सकती थी
इसीलिए अहसासों को ही, सूली टाँग दिया हमने!
.
मेरी जहीनियत के रास्ते, पीर, तेरे मुकाम तक पहुँचे होंगे 
बेवजह इल्म भला, किसे हासिल हुआ है अब तक! 
.
पहले-पहल का दर्द, हमें भी, बहुत सताया किया
अब दर्द के सितारों से मेरा, दामन रोशन हुआ करता है!
.
इश्क हर किसी को हो, सब आशिकी करें
कामयाब इश्क होगा या कामयाब शख़्सियत!
.
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

वो रब सा हो गया है

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
वो जबसे जुदा हुआ
रब सा हो गया है!
  दीद उसकी नामुमकिन
पर होने की आस तो है!
 साथ उसका होना नामुमकिन...
फिर भी अहसास तो है!
निगाह-ए-करम बहुत मुश्किल
 अनबुझी मगर मेरी प्यास तो है!
 मेरा वजूद है इस ख्याल से कि
वो कहीं आसपास तो है!
‪#‎Sathyarchan‬
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

रविवार, 6 दिसंबर 2015

नजरों में चुभने लगते हैं

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

जख्म जब फूलों से सज जायें ....
दर्द खुशबू बन बिखेरने लग जायें ....
दर्द जो दिल में आकर बस जायें !!!
-
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

अपनी अस्मिता को मरते देख ...

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
भारत
अग्रगामी रह विश्व के लिये अनकरणीय रह
गौरवांवित होता रहा है
किन्तु आज,
साहित्य सहित सभी क्षेत्रों में
हम अन्योन्य का केवल अनुकरण कर रहे हैं ....
अपनी अस्मिता को मरते देख दर्द तो होगा ना .....
क्षमा!
- ‪#‎सत्यार्चन‬
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

गमगीनी की लत

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
है सबसे खराब यारो....
चंद बोतलों को तोड़कर,
शराब से तो निजात है.....
पर जिंदगी निचोड़कर भी
गम छोड़ता नहीं.......
- ‪#‎सत्यार्चन‬

..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

दायित्व या कृतघ्नता! क्या उचित है ?

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
भारत की स्वतंत्रता और फिर स्वावलंवन
के संघर्ष में स्वयं को आहूत करने वाले
स्वतंत्रता साकार के दीवानों
के दुर्दांत जीवन और फिर अधिकांश की
अकिंचन सी मृत्यु पर
 हँसी ही आ रही हो तो 
तो फिर से विचार करें कि

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

दर्पण था तब

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
दर्पण था तब मैं ना समझ था...
वो आशना थे अक्स से
 इतराया किये हम उम्रभर ....
इक बार गिर के टूटा
तो बिखरा चूर हो लिया .... ...
अब रास्ते की धूल हूँ...
औ'
गुजरते हैं, इधऱ से वो
एक बार फिर,
इतराने की
वजह मिली है मुझको!!!
- ‪#‎चर्चित_चित्रांश‬

..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

SwaSaSan: क्या सही और क्या गलत

SwaSaSan: क्या सही और क्या गलत: स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... -:  क्या सही और क्या गलत :- हम सभी निर्देशों से संस्कारित होकर समझदार होते हैं! मजेदार बात यह ...

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

क्या सही और क्या गलत

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
हम सभी निर्देशों से संस्कारित होकर समझदार होते हैं!
मजेदार बात यह है कि इनमें से अधिकांश निषेधात्मक निर्देश होते हैं!
जिनमें प्रमुख है 
ऐसे मत '.....' करो
रिक्त स्थान में शब्द वाक्यांश भरते जाइये 
ऐसे मत 'बैठा' करो
ऐसे मत 'चला' करो
ऐसे मत 'बोला' करो
ऐसे मत 'लेटा' करो
ऐसे मत 'सोचा' करो
आदि-इत्यादि....
जब हम स्वयं विवेकवान हो चुके होते हैं

SwaSaSan: बड़े घर के गलियारे से - 1

SwaSaSan: बड़े घर के गलियारे से - 1: स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... बड़े घर के गलियारे से - 1 आदरणीया कलैक्टर किंजल सिंह जी: हरि ओम् ! आपके नियंत्रणाधीन जिले के व...

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

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