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शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019

#वैश्विक_राजनैतिक_पतन! #ज़िन्दगीLIVE जीना है तो आईये...

#वैश्विक_राजनैतिक_पतन! #ज़िन्दगीLIVE जीना है तो आईये...




स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

रविवार, 7 मई 2017

तंदुरुस्त तन्हाइयाँ

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

तंदुरुस्त तन्हाइयाँ

चलती सड़क पर
 सूना सा मेरा  घर
दिलवालों की दौड़
 लगी रहती दिन भर ---
तनहाई बहुत यहाँ
तनदुरुस्त है मगर ---
काश कोई दस्तक हो
कोई आवाज लगाये ---
 पानी माँगने आये
या पता ही पूछ जाये
कोई प्यस ना बुझाये
 रखे ---
 आस ही जगाये!!!
-
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

शनिवार, 27 अगस्त 2016

बुधवार, 16 मार्च 2016

जाने जज्बात क्या उकेरे होंगे....

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

खत तेरा था, या थी दास्ताँ, दिलों की दुश्वारियों की.... 
लिखा कुछ भी हो तूने पढ़ने को हर्फ मिले नहीं.... 
स्याही से गहरे मायने धुले निशाओं में मिले.... 
 दिल की गहराई से फिर बरसात वो बरसी होगी ....
 हर हर्फ मिटाकर जिसने दास्तांनें कही मुझसे.... 
 हर्फों को धोने वाली बरसात बड़ी नादाँ निकली .... 
दास्तां दिलों की, दिल ने, दिल से पढ़ ली, सुन ली..... 
 जब भी इरादा हो अब कागज ना कलम लेना ... 
हर आह हर सिसकी सुनाई देती है मुझे.... 
परेशां हो तुम तो हाल यहां भी ठीक नहीं.... 
ये दीगर है कि मेरी आह तुम तक जाती नहीं....
आरजू है कि हवायें तेरी तरफ बहें ... 
मेरे दर्द भरे गीतों की कसक तुम तक तो पहुँचे....
 जान सको तुम कि कोई चैन का पल जिया ना गया .... 
दूर होकर जिन्दा तो हैं पर पल भर जिया ना गया....
हमको कब कहाँ कोई शिकवा रहा कभी तुमसे .... 
मजबूर जीने वाले, मजबूरियों की समझ रखते हैं.... 
#सत्यार्चन
 ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

ये इश्क ऐसी शै है

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर ....  
--:ये इश्क ऐसी शै है:--

क्या समझेंगे भला वो, इश्क की गहराई
जो एक सूरत के इश्क में, सीरत मिटा लेते हैं!
.

कब-कब कितना आया किये,
  तुम दर तक मेरे
दरवाजों ने चुगली
हर बार मुझसे की ...
हवाओं से ही कभी कोई
ख्वाहिश जता जाते
  दरवाजे मेरे फिर,
कभी बंद ना मिलते....
..

दिल के हाथों मजबूर हो
मेरे दर तक आ ही पहुँचे
 दो घड़ी तो साथ बैठ लो      
लौटकर जाने से पहले.
....
निकल कर ख्वाब से कभी
मिल तो लो हकीकत में ...
फिर अख्तियार में हो तुम्हारे
तो छोड़कर चल देना!!!

....

ये इश्क ऐसी शै है
चुपके से वार करती है
फिर हासिल होता कुछ नहीं
मीत  ना मिल पाये
या मिल जाये तो भी !!!
.

..... एवम् अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

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