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परवाह नहीं जिन्दगी, तू जो चाहे लिख जाये....
कांटे चाहे जितने, राह में तू बिछाती जाये....
जीने ना दे जीते जी, भले चैन का कोई पल.....
मरने से पहले बस इतना रहम फरमाये....
जब मौत आये तो आगोश साझा हों ....
दम उसका निकले औ मेरी साँस थम जाये!!!
- #सत्यार्चन
परवाह नहीं जिन्दगी, तू जो चाहे लिख जाये....
कांटे चाहे जितने, राह में तू बिछाती जाये....
जीने ना दे जीते जी, भले चैन का कोई पल.....
मरने से पहले बस इतना रहम फरमाये....
जब मौत आये तो आगोश साझा हों ....
दम उसका निकले औ मेरी साँस थम जाये!!!
- #सत्यार्चन
कौन कितना सराहेगा ,
नकारेगा कौन कितना,
क्यों सोचूँ?
जिन्दगी मिल्कियत मेरी,
जी भर जीना,
हक मेरा!!...
- #सत्यार्चन
.... एवम् अपेक्षित हैं समालोचना/आलोचना के चन्द शब्द...नकारेगा कौन कितना,
क्यों सोचूँ?
जिन्दगी मिल्कियत मेरी,
जी भर जीना,
हक मेरा!!...
- #सत्यार्चन
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