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रविवार, 8 मार्च 2020

ज़िन्दगी LIVE - 11- #कोरोना भगायें! - "कीटाणुवाहक मच्छर मक्खी से मुक्ति...



स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

मित्रो;
#कोरोना और अन्य कैसी भी *संक्रामक बीमारियों से सुरक्षा पाने  वैज्ञानिक शोधों से पुष्टिकृत वीडियो में दर्शाये अनुसार प्रक्रिया अपनायें!*

सुरक्षा पाने घर-घर, मंदिर-मंदिर, सार्वजनिक सामूहिक मिलन स्थलों पर,  नियमित अग्निहोत्र कीजिये /कराइये!

*यह विज्ञान सम्मत प्रक्रिया, वातावरण को 100% तक  रोगाणु, कीटाणु, जीवाणु मुक्त करने में सक्षम है! हम सबको सुरक्षा देने में सक्षम है!*

अपनाइये!  अपनी, अपने परिवार की, अपने मोहल्ले, गांव, शहर, प्रदेश, देश, दुनियां की  सुरक्षा में सहयोग कीजिये! देखिये! पसंद कीजिये! आपके अपनों के हित में उनसे साझा कीजिये!

विगत नवदुर्गा, दशहरा, दीपावली, क्रिसमस, न्यूइयर, मोहर्रम,  शब्बारात आदि त्यौहारों के समय सभी धर्मों के धर्मावलम्बियों से उनके अपने धर्म में निर्दिष्ट /अनुमत पारम्परिक विधियों से वातावरण शुद्धिकरण हेतु *सभी धर्मों के सभी त्योहारों पर, एक ही समय निश्चित कर, एक साथ, (मुहूर्त की तरह) अग्निहोत्र करने की सलाह देते आ रहा हूं!*

*अब होलिकादहन भी एक निश्चित समय में एक साथ करने का प्रयास करें! मुस्लिम उसी समय लोभान छोड़ें, ईसाई केंडिल्स जलायें!*

*इंसानियत के आशिक साथ आयें!*
*दुश्मन महामारी को मार भगायें!*
मेरे वीडियो की लिंक-
https://youtu.be/SfT0BwwV7OE

मेरे वीडियो की पुष्टि करने वाले, "देवभूमि न्यूज" चैनल से साभार, वैज्ञानिक शोध निष्कर्षों की लिंक-
https://youtu.be/4hTU2IuxROU

ज़िन्दगी LIVE - 11- सहजपथ- "कीटाणु वाहक मच्छर-मक्खी से मुक्ति का"





 स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...



मित्रो;
#कोरोना और अन्य कैसी भी *संक्रामक बीमारियों से सुरक्षा पाने  वैज्ञानिक शोधों से पुष्टिकृत वीडियो में दर्शाये अनुसार प्रक्रिया अपनायें!*

सुरक्षा पाने घर-घर, मंदिर-मंदिर, सार्वजनिक सामूहिक मिलन स्थलों पर,  नियमित अग्निहोत्र कीजिये /कराइये!

*यह विज्ञान सम्मत प्रक्रिया, वातावरण को 100% तक  रोगाणु, कीटाणु, जीवाणु मुक्त करने में सक्षम है! हम सबको सुरक्षा देने में सक्षम है!*

अपनाइये!  अपनी, अपने परिवार की, अपने मोहल्ले, गांव, शहर, प्रदेश, देश, दुनियां की  सुरक्षा में सहयोग कीजिये! देखिये! पसंद कीजिये! आपके अपनों के हित में उनसे साझा कीजिये!

विगत नवदुर्गा, दशहरा, दीपावली, क्रिसमस, न्यूइयर, मोहर्रम,  शब्बारात आदि त्यौहारों के समय सभी धर्मों के धर्मावलम्बियों से उनके अपने धर्म में निर्दिष्ट /अनुमत पारम्परिक विधियों से वातावरण शुद्धिकरण हेतु *सभी धर्मों के सभी त्योहारों पर, एक ही समय निश्चित कर, एक साथ, (मुहूर्त की तरह) अग्निहोत्र करने की सलाह देते आ रहा हूं!*

*अब होलिकादहन भी एक निश्चित समय में एक साथ करने का प्रयास करें! मुस्लिम उसी समय लोभान छोड़ें, ईसाई केंडिल्स जलायें!*





























*इंसानियत के आशिक साथ आयें!*
*दुश्मन महामारी को मार भगायें!*
मेरे वीडियो की लिंक-
https://youtu.be/SfT0BwwV7OE



मेरे वीडियो की पुष्टि करने वाले, "देवभूमि न्यूज" चैनल से साभार, वैज्ञानिक शोध निष्कर्षों की लिंक-
https://youtu.be/4hTU2IuxROU

मंगलवार, 21 जनवरी 2020

रविवार, 7 मई 2017

तंदुरुस्त तन्हाइयाँ

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

तंदुरुस्त तन्हाइयाँ

चलती सड़क पर
 सूना सा मेरा  घर
दिलवालों की दौड़
 लगी रहती दिन भर ---
तनहाई बहुत यहाँ
तनदुरुस्त है मगर ---
काश कोई दस्तक हो
कोई आवाज लगाये ---
 पानी माँगने आये
या पता ही पूछ जाये
कोई प्यस ना बुझाये
 रखे ---
 आस ही जगाये!!!
-
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

शनिवार, 27 अगस्त 2016

बुधवार, 16 मार्च 2016

जाने जज्बात क्या उकेरे होंगे....

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

खत तेरा था, या थी दास्ताँ, दिलों की दुश्वारियों की.... 
लिखा कुछ भी हो तूने पढ़ने को हर्फ मिले नहीं.... 
स्याही से गहरे मायने धुले निशाओं में मिले.... 
 दिल की गहराई से फिर बरसात वो बरसी होगी ....
 हर हर्फ मिटाकर जिसने दास्तांनें कही मुझसे.... 
 हर्फों को धोने वाली बरसात बड़ी नादाँ निकली .... 
दास्तां दिलों की, दिल ने, दिल से पढ़ ली, सुन ली..... 
 जब भी इरादा हो अब कागज ना कलम लेना ... 
हर आह हर सिसकी सुनाई देती है मुझे.... 
परेशां हो तुम तो हाल यहां भी ठीक नहीं.... 
ये दीगर है कि मेरी आह तुम तक जाती नहीं....
आरजू है कि हवायें तेरी तरफ बहें ... 
मेरे दर्द भरे गीतों की कसक तुम तक तो पहुँचे....
 जान सको तुम कि कोई चैन का पल जिया ना गया .... 
दूर होकर जिन्दा तो हैं पर पल भर जिया ना गया....
हमको कब कहाँ कोई शिकवा रहा कभी तुमसे .... 
मजबूर जीने वाले, मजबूरियों की समझ रखते हैं.... 
#सत्यार्चन
 ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

रविवार, 7 फ़रवरी 2016

ये इश्क ऐसी शै है

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर ....  
--:ये इश्क ऐसी शै है:--

क्या समझेंगे भला वो, इश्क की गहराई
जो एक सूरत के इश्क में, सीरत मिटा लेते हैं!
.

कब-कब कितना आया किये,
  तुम दर तक मेरे
दरवाजों ने चुगली
हर बार मुझसे की ...
हवाओं से ही कभी कोई
ख्वाहिश जता जाते
  दरवाजे मेरे फिर,
कभी बंद ना मिलते....
..

दिल के हाथों मजबूर हो
मेरे दर तक आ ही पहुँचे
 दो घड़ी तो साथ बैठ लो      
लौटकर जाने से पहले.
....
निकल कर ख्वाब से कभी
मिल तो लो हकीकत में ...
फिर अख्तियार में हो तुम्हारे
तो छोड़कर चल देना!!!

....

ये इश्क ऐसी शै है
चुपके से वार करती है
फिर हासिल होता कुछ नहीं
मीत  ना मिल पाये
या मिल जाये तो भी !!!
.

..... एवम् अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

बुधवार, 20 जनवरी 2016

भारतीय अंग्रेज प्रशासन जारी है... 100 साल बाद भी

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर... एवम् ...

जारी है ... 100 साल बाद भी
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मैं 'नरेन्द्र'  की आत्मा
 आज यहाँ से, स्वर्ग से, पूर्ण पूर्वाग्रह रहित होकर देख पा रहा हूँ ...
भारत! जो मेरा भारत हुआ करता था 
आज भी लगभग वहीं है ...
जहाँ मैंने छोड़ा था!!!
आज भी मेरे भारत वंशी वैसे ही भोले, सरल और सहज हैं
जैसे  आज से 100 साल पहले थे!
100 साल पहले जब मुझे 'विश्व धर्म संसद' में
भारत का प्रतिनिधित्व करने का
 ऐतिहासिक अवसर मिलना शेष था....
 तब मेरे 'भारत' के लिए
अंग्रेज ही 'साहब' हुआ करते थे।
अंग्रेजों की अंग्रेजी में बारंबार दी जाने वाली गालियों
(निकृष्ट, गँवार और दो-दो पैसे में बिकने वाला) को
भारत ना केवल अंगीकार कर चुका था, बल्कि नियति भी मान चुका था।
उनके लिए केवल अँग्रेज़ और अंग्रेजी जानने / बोलने वाले ही

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