स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
खत तेरा था, या थी दास्ताँ, दिलों की दुश्वारियों की....
लिखा कुछ भी हो तूने पढ़ने को हर्फ मिले नहीं....
स्याही से गहरे मायने धुले निशाओं में मिले....
दिल की गहराई से जाने जज्बात क्या उकेरे होंगे....
दिल की गहराई से फिर बरसात वो बरसी होगी ....
हर हर्फ मिटाकर जिसने दास्तांनें कही मुझसे....
हर्फों को धोने वाली बरसात बड़ी नादाँ निकली ....
दास्तां दिलों की, दिल ने, दिल से पढ़ ली, सुन ली.....
जब भी इरादा हो अब कागज ना कलम लेना ...
हर आह हर सिसकी सुनाई देती है मुझे....
परेशां हो तुम तो हाल यहां भी ठीक नहीं....
ये दीगर है कि मेरी आह तुम तक जाती नहीं....
आरजू है कि हवायें तेरी तरफ बहें ...
मेरे दर्द भरे गीतों की कसक तुम तक तो पहुँचे....
जान सको तुम कि कोई चैन का पल जिया ना गया ....
दूर होकर जिन्दा तो हैं पर पल भर जिया ना गया....
हमको कब कहाँ कोई शिकवा रहा कभी तुमसे ....
मजबूर जीने वाले, मजबूरियों की समझ रखते हैं....
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
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