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शनिवार, 3 नवंबर 2012

एक दिन "ख़ास आदमी" का 3 दिन कत्लेआम के ....Part 1

http://swasaasan.blogspot.com/2012/11/blog-post.htmlSwaSaSan Welcomes You...

दोस्तो;
"एक 'ख़ास भारतीय' (क्योंकि आम भारतीय तो वे लोग कहलाते हैं जो अपने महलों को गरीबखाना कहते हैं)यानी मेरे एक पूरे दिन को आप भी मेरे साथ जीकर देखिये फिर बताइये हम दिलवालों को 'हमारे भारत' पर फख्र क्यों (ना) हो !
कल सुबह अपने सबसे पहले धर्म परिवार के भरण-पोषण के हेतु अपने बन्धुआ कर्त्तव्य, (गवर्नमेंट लिमिटेड कंपनी कार्यालय जहां मैं अधिकारी के रूप में कार्यरत हूँ जिसका नियमित कार्यकाल 11 बजे दिन से शाम 6 बजे है, एवं जहां से त्यागपत्र स्वीकृति हेतु वर्षों से प्रयासरत हूँ) पर सुबह 8 बजे पंहुचा और अपने दुसरे आवश्यक 'पडौसी धर्म' को निभाने यानी 'विधर्मी' पडौसी के बेटे की शादी में सम्मिलित होने के उद्देश्य से कार्यालय से जल्दी (?) रात 9:30 पर निकला ! मेरे कार्यालयीन हालात इतने बदतर इसलिए हैं क्योंकि मेरे विभाग में 30-40% रिक्तियां वांछित योग्य उम्मीदवार 'भारत में अनुपलब्ध' होने के कारण रिक्त हैं (ध्यान दिलाना चाहूँगा - सामान्य शैक्षणिक योग्यता धारकों को भारत की सर्वोत्कृष्ट वेतन-भत्ते और आकर्षक पदोन्नति आदि सेवा शर्तों में हैं यहाँ; केवल 'मलाई' अनुपलब्ध!!)!!! क्या मुझे शर्मिन्दा नहीं होना चाहिये---
घर आते ही अस्वस्थ बीबी को शादी में साथ चलने मनाकर उसके तैयार होने तक, jजागरूक रहने का अपना
धर्म निभाने और तरोताजा होने 'न्यूज' देखनी चाही, वही ओछी व्यक्तिगत छींटाकशी के अलावा कुछ ना था कोई राजनेता अपनी प्रेयसी पर अधिक खर्चने के समर्थन में तर्क दे रहा था कोई दूजा तीजे की शादी के बाद पलटकर पत्नी को ना देखने पर प्रश्न उठा रहा था! यानी मेरे भारत में मुख्य समस्याएं केवल व्यक्तिगत ही शेष हैं ! क्या मुझे देश के इस राजनैतिक सूरतेहाल पर शर्मिन्दा नहीं होना चाहिए !
'हम दोनों ' शादी में गए शाकाहारी भोजन किया, मेजबान और बाकी पडौसियों से हंस-बोल कर 20-25 मिनट में फुर्सत हो गए (क्योंकि विधर्मियों के समारोह में पडौसियों के अलावा बाकी मेहमानों के लिए हम 'बाहरवाले' थे और बाहरियों में उस समय अकेले)! समझ नहीं आया फख्र करना चाहिए या फिक्र ....
(...निरंतर अगले भाग में ) 
Founder
SwaSaSan
(स्वप्न साकार संघ /स्वप्न साकार संकल्प / स्वतंत्रता साकार संघ)http://swasaasan.blogspot.com/2012/11/blog-post.html

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