स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
जलते शोलों को लिख पायें
शब्दों की औकात कहाँ?
कह डालें अनकहे बोल सब
ऐसे अब जज्बात कहाँ?
बिन बोले कह दें
सुन लें गुन लें
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
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