स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
आशना थे वो अक्स के
ना समझे थे...
हम दर्पण थे ,
बेवजह ही हम,
गिर के टूटे, एक बार
हो चूर-चूर बिखर गये ....
अब रास्ते की धूल हैं...
राहगुजर ये उनकी हैं
गुजरते हैं वो हमें छूकर
इतराने का एक और नया
बहाना हमको मिल गया!!!
आशना थे वो अक्स के
ना समझे थे...
हम दर्पण थे ,
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
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