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भारत की स्वतंत्रता और फिर स्वावलंवन
के संघर्ष में स्वयं को आहूत करने वाले
स्वतंत्रता साकार के दीवानों
के दुर्दांत जीवन और फिर अधिकांश की
अकिंचन सी मृत्यु पर
हँसी ही आ रही हो तो
आपको आज उपलब्ध सुविधाओं के लिये संघर्ष करने वालों के प्रति
आपका कुछ दायित्व बनता है
या कृतघ्नता ही उचित है!
फिर यदि दया या शर्म आये तो
केवल राष्ट्र / समाज के प्रति
अपने समर्पण को बढ़ायें !
राष्ट्र के उन शहीदों की शहादत को
यही सबसे अच्छी और सच्ची श्रद्धांजलि होगी!
यही उनका अभीष्ट था!
- #सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
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