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राहुलजी धन्यवाद् ! .... भ्रष्टाचार पर बोलने के लिए !
आप और आपके पिता स्व. श्री राजीव जी भ्रष्टाचार को स्वीकारने वाले पहले राजनेता हैं . बड़े साहस की बात है . स्व राजीव जी ने स्वीकारा था कि केंद्रीय योजना के एक रुपये में से ८५ पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है . आज भी स्थिति सुधरने के स्थान पर बदतर हुई है . प्रश्न यह है कि उक्त सार्वजानिक कथन को कहे दशक बीत चुका है यानी बीमारी का पता लगे तो सालों हो गए किन्तु अभी भी इलाज शुरू करने का विचार ही किया जा रहा है . यदि प्रथम बिंदु से चलने वाला १ रु दसबें बिंदु तक १५ पैसे बचता है तो निश्चय ही १ले से २रे या २रे से ३रे
बिंदु पर भी भ्रष्टाचार हो रहा है . क्या इतनी मोटी सी बात उपरी स्तर पर दिखाई नहीं देती . इस सम्बन्ध में
राहुलजी धन्यवाद् ! .... भ्रष्टाचार पर बोलने के लिए !
आप और आपके पिता स्व. श्री राजीव जी भ्रष्टाचार को स्वीकारने वाले पहले राजनेता हैं . बड़े साहस की बात है . स्व राजीव जी ने स्वीकारा था कि केंद्रीय योजना के एक रुपये में से ८५ पैसे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है . आज भी स्थिति सुधरने के स्थान पर बदतर हुई है . प्रश्न यह है कि उक्त सार्वजानिक कथन को कहे दशक बीत चुका है यानी बीमारी का पता लगे तो सालों हो गए किन्तु अभी भी इलाज शुरू करने का विचार ही किया जा रहा है . यदि प्रथम बिंदु से चलने वाला १ रु दसबें बिंदु तक १५ पैसे बचता है तो निश्चय ही १ले से २रे या २रे से ३रे
बिंदु पर भी भ्रष्टाचार हो रहा है . क्या इतनी मोटी सी बात उपरी स्तर पर दिखाई नहीं देती . इस सम्बन्ध में