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मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

वो रब सा हो गया है

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
वो जबसे जुदा हुआ
रब सा हो गया है!
  दीद उसकी नामुमकिन
पर होने की आस तो है!
 साथ उसका होना नामुमकिन...
फिर भी अहसास तो है!
निगाह-ए-करम बहुत मुश्किल
 अनबुझी मगर मेरी प्यास तो है!
 मेरा वजूद है इस ख्याल से कि
वो कहीं आसपास तो है!
‪#‎Sathyarchan‬
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

रविवार, 6 दिसंबर 2015

नजरों में चुभने लगते हैं

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

जख्म जब फूलों से सज जायें ....
दर्द खुशबू बन बिखेरने लग जायें ....
दर्द जो दिल में आकर बस जायें !!!
-
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

अपनी अस्मिता को मरते देख ...

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
भारत
अग्रगामी रह विश्व के लिये अनकरणीय रह
गौरवांवित होता रहा है
किन्तु आज,
साहित्य सहित सभी क्षेत्रों में
हम अन्योन्य का केवल अनुकरण कर रहे हैं ....
अपनी अस्मिता को मरते देख दर्द तो होगा ना .....
क्षमा!
- ‪#‎सत्यार्चन‬
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

गमगीनी की लत

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
है सबसे खराब यारो....
चंद बोतलों को तोड़कर,
शराब से तो निजात है.....
पर जिंदगी निचोड़कर भी
गम छोड़ता नहीं.......
- ‪#‎सत्यार्चन‬

..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

दायित्व या कृतघ्नता! क्या उचित है ?

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
भारत की स्वतंत्रता और फिर स्वावलंवन
के संघर्ष में स्वयं को आहूत करने वाले
स्वतंत्रता साकार के दीवानों
के दुर्दांत जीवन और फिर अधिकांश की
अकिंचन सी मृत्यु पर
 हँसी ही आ रही हो तो 
तो फिर से विचार करें कि

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

दर्पण था तब

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
दर्पण था तब मैं ना समझ था...
वो आशना थे अक्स से
 इतराया किये हम उम्रभर ....
इक बार गिर के टूटा
तो बिखरा चूर हो लिया .... ...
अब रास्ते की धूल हूँ...
औ'
गुजरते हैं, इधऱ से वो
एक बार फिर,
इतराने की
वजह मिली है मुझको!!!
- ‪#‎चर्चित_चित्रांश‬

..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

SwaSaSan: क्या सही और क्या गलत

SwaSaSan: क्या सही और क्या गलत: स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... -:  क्या सही और क्या गलत :- हम सभी निर्देशों से संस्कारित होकर समझदार होते हैं! मजेदार बात यह ...

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

क्या सही और क्या गलत

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
हम सभी निर्देशों से संस्कारित होकर समझदार होते हैं!
मजेदार बात यह है कि इनमें से अधिकांश निषेधात्मक निर्देश होते हैं!
जिनमें प्रमुख है 
ऐसे मत '.....' करो
रिक्त स्थान में शब्द वाक्यांश भरते जाइये 
ऐसे मत 'बैठा' करो
ऐसे मत 'चला' करो
ऐसे मत 'बोला' करो
ऐसे मत 'लेटा' करो
ऐसे मत 'सोचा' करो
आदि-इत्यादि....
जब हम स्वयं विवेकवान हो चुके होते हैं

SwaSaSan: बड़े घर के गलियारे से - 1

SwaSaSan: बड़े घर के गलियारे से - 1: स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... बड़े घर के गलियारे से - 1 आदरणीया कलैक्टर किंजल सिंह जी: हरि ओम् ! आपके नियंत्रणाधीन जिले के व...

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

बुधवार, 2 दिसंबर 2015

बड़े घर के गलियारे से - 1

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
बड़े घर के गलियारे से - 1
आदरणीया कलैक्टर किंजल सिंह जी:
हरि ओम् !
आपके नियंत्रणाधीन जिले के वन विभाग ने, आप पर,  दुधवा सुरक्षित वन में,
वनवासी पशुओं की शांति भंग का आरोप लगाया है!
आपने स्पष्टीकरण भी दिया है किन्तु आपके स्पष्टीकरण से परिलक्षित है कि
आप अपने विभागीय श्रोतों से "उचित उपार्जन" करने में अक्षम रहीं हैं
साथ ही दूसरे विभागों के 'उचितोपार्जन' में भी वाधक बनी हुई हैं!
आपके कार्यकाल में आपके जिले से एवं आप जैसे अर्धसक्षम अन्य कलैक्टरों की अक्षमतावश
 'उचितोपार्जित' रेवेन्यु में नकारात्मक वृद्धि से शासकों को
'शासकोपयुक्त' संसाधनों में कटौती को विवश होना पड़ता है!
आपको सूचित किया जाता है कि आपके विरुद्ध कार्यवाही करने की अनुशंसा करने

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