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बुधवार, 16 दिसंबर 2015

इतराया किये उम्रभर ....

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
आशना थे वो अक्स के
ना समझे थे...
हम दर्पण थे ,
बेवजह ही हम,
गिर के टूटे, एक बार
हो चूर-चूर  बिखर गये ....
अब रास्ते की धूल हैं... 
राहगुजर ये उनकी हैं
गुजरते हैं वो हमें छूकर
इतराने का एक और नया
बहाना हमको मिल गया!!!
आशना थे वो अक्स के
ना समझे थे...
हम दर्पण थे ,
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

हक मांगने की जुर्रत...

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
किस्मत में क्या लिखा उसने,
कहकर भी सुना दिया....
मूश्किलों से मत डरना !
हक के लिये, सदा लड़ना!!
जो चाहोगे पा जाओगे!!!!
जिद, जिद की तरह करना!!!!!
हम डरे नहीं ... हम गिरे नहीं ...
पर जिद हो सकी ना कभी हमसे ...
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

शनिवार, 12 दिसंबर 2015

बर्दाश्त

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
बर्दाश्त
नाकामयाब इश्क का, इक ये भी असर हुआ
दुनियां के बड़े आशिकों में, नाम अपना भी शुमार है!
.
मेरे दर्द से तू गाफिल हो, बर्दाश्त से बाहर था
अच्छा हुआ खतावार मेरे, दर्दीले अहसास ही निकले!
.
मेरे दर्द से बेखबरी तेरी, हो ही नहीं सकती थी
इसीलिए अहसासों को ही, सूली टाँग दिया हमने!
.
मेरी जहीनियत के रास्ते, पीर, तेरे मुकाम तक पहुँचे होंगे 
बेवजह इल्म भला, किसे हासिल हुआ है अब तक! 
.
पहले-पहल का दर्द, हमें भी, बहुत सताया किया
अब दर्द के सितारों से मेरा, दामन रोशन हुआ करता है!
.
इश्क हर किसी को हो, सब आशिकी करें
कामयाब इश्क होगा या कामयाब शख़्सियत!
.
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

वो रब सा हो गया है

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
वो जबसे जुदा हुआ
रब सा हो गया है!
  दीद उसकी नामुमकिन
पर होने की आस तो है!
 साथ उसका होना नामुमकिन...
फिर भी अहसास तो है!
निगाह-ए-करम बहुत मुश्किल
 अनबुझी मगर मेरी प्यास तो है!
 मेरा वजूद है इस ख्याल से कि
वो कहीं आसपास तो है!
‪#‎Sathyarchan‬
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

रविवार, 6 दिसंबर 2015

नजरों में चुभने लगते हैं

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

जख्म जब फूलों से सज जायें ....
दर्द खुशबू बन बिखेरने लग जायें ....
दर्द जो दिल में आकर बस जायें !!!
-
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

अपनी अस्मिता को मरते देख ...

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
भारत
अग्रगामी रह विश्व के लिये अनकरणीय रह
गौरवांवित होता रहा है
किन्तु आज,
साहित्य सहित सभी क्षेत्रों में
हम अन्योन्य का केवल अनुकरण कर रहे हैं ....
अपनी अस्मिता को मरते देख दर्द तो होगा ना .....
क्षमा!
- ‪#‎सत्यार्चन‬
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

गमगीनी की लत

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
है सबसे खराब यारो....
चंद बोतलों को तोड़कर,
शराब से तो निजात है.....
पर जिंदगी निचोड़कर भी
गम छोड़ता नहीं.......
- ‪#‎सत्यार्चन‬

..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

शुक्रवार, 4 दिसंबर 2015

दायित्व या कृतघ्नता! क्या उचित है ?

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
भारत की स्वतंत्रता और फिर स्वावलंवन
के संघर्ष में स्वयं को आहूत करने वाले
स्वतंत्रता साकार के दीवानों
के दुर्दांत जीवन और फिर अधिकांश की
अकिंचन सी मृत्यु पर
 हँसी ही आ रही हो तो 
तो फिर से विचार करें कि

गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

दर्पण था तब

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
दर्पण था तब मैं ना समझ था...
वो आशना थे अक्स से
 इतराया किये हम उम्रभर ....
इक बार गिर के टूटा
तो बिखरा चूर हो लिया .... ...
अब रास्ते की धूल हूँ...
औ'
गुजरते हैं, इधऱ से वो
एक बार फिर,
इतराने की
वजह मिली है मुझको!!!
- ‪#‎चर्चित_चित्रांश‬

..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

SwaSaSan: क्या सही और क्या गलत

SwaSaSan: क्या सही और क्या गलत: स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... -:  क्या सही और क्या गलत :- हम सभी निर्देशों से संस्कारित होकर समझदार होते हैं! मजेदार बात यह ...

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

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