"SwaSaSan" "स्व सा सं" (स्वत्व साकार संकल्प / स्वप्न साकार संकल्प / स्वतंत्रता साकार संघ / स्वप्न साकार संघ) स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हर एक सेनानी ने स्वतंत्र भारत के जिस दिवा स्वप्न के लिये अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया... उसी स्वप्न के साकार का संकल्प है! आइये देखते हैं ...कितने सक्षम हैं हम...??? https://swasasan.blogger.in; https://swasaasan.blogspot.com
गुरुवार, 16 जनवरी 2020
पेडमीडिया या सोशल मीडिया? मेरा चयन सोशल मीडिया!
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
शुक्रवार, 3 जनवरी 2020
क्या आग और गोली से हल निकलेंगे ???
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
बुधवार, 1 जनवरी 2020
सुख दीजिये तो सुख लीजिये...हो जाईये सुखी-2
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
बुधवार, 18 दिसंबर 2019
मनयोग भगाये रोग- अनिद्रा से शतप्रतिशत सटीक व सहज मुक्ति!-3/6
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
शुक्रवार, 6 दिसंबर 2019
#वैश्विक_राजनैतिक_पतन! #ज़िन्दगीLIVE जीना है तो आईये...
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स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
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गुरुवार, 5 दिसंबर 2019
आईये सतपरिवार में...
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...https://swasaasan.blogspot.com/2019/12/blog-post.html
सोमवार, 2 दिसंबर 2019
आइए ईश्वर का साक्षात्कार करें..! भाग - 2
https://swasaasan.blogspot.com/2019/12/2.html
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
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मंगलवार, 25 जुलाई 2017
हमारी तरह घर पर ही बनायें जैविक खाद... जगद्गुरु - सत्यार्चन
हमारी तरह, घर पर ही, गमलों में, बनायें जैविक खाद...
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
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रविवार, 7 मई 2017
तंदुरुस्त तन्हाइयाँ
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
तंदुरुस्त तन्हाइयाँ
चलती सड़क पर
सूना सा मेरा घर
दिलवालों की दौड़
लगी रहती दिन भर ---
तनहाई बहुत यहाँ
तनदुरुस्त है मगर ---
काश कोई दस्तक हो
कोई आवाज लगाये ---
पानी माँगने आये
या पता ही पूछ जाये
कोई प्यस ना बुझाये
रखे ---
आस ही जगाये!!!
-
#सत्यार्चन
सूना सा मेरा घर
दिलवालों की दौड़
लगी रहती दिन भर ---
तनहाई बहुत यहाँ
तनदुरुस्त है मगर ---
काश कोई दस्तक हो
कोई आवाज लगाये ---
पानी माँगने आये
या पता ही पूछ जाये
कोई प्यस ना बुझाये
रखे ---
आस ही जगाये!!!
-
#सत्यार्चन
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गुरुवार, 6 अप्रैल 2017
सुपरिवर्तन के पक्षधर सत्यार्चन - 1
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
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शनिवार, 27 अगस्त 2016
जगद्गुरु - सत्यार्चन
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
शनिवार, 11 जून 2016
इन मकानों का अहसास है प्रकृति के दुलार जैसा, आप भी जानें कैसे - Green Building Concept To save environment
इन मकानों का अहसास है प्रकृति के दुलार जैसा, आप भी जानें कैसे - Green Building Concept To save environment
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् .... ..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
बुधवार, 16 मार्च 2016
जाने जज्बात क्या उकेरे होंगे....
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
खत तेरा था, या थी दास्ताँ, दिलों की दुश्वारियों की....
लिखा कुछ भी हो तूने पढ़ने को हर्फ मिले नहीं....
स्याही से गहरे मायने धुले निशाओं में मिले....
दिल की गहराई से जाने जज्बात क्या उकेरे होंगे....
दिल की गहराई से फिर बरसात वो बरसी होगी ....
हर हर्फ मिटाकर जिसने दास्तांनें कही मुझसे....
हर्फों को धोने वाली बरसात बड़ी नादाँ निकली ....
दास्तां दिलों की, दिल ने, दिल से पढ़ ली, सुन ली.....
जब भी इरादा हो अब कागज ना कलम लेना ...
हर आह हर सिसकी सुनाई देती है मुझे....
परेशां हो तुम तो हाल यहां भी ठीक नहीं....
ये दीगर है कि मेरी आह तुम तक जाती नहीं....
आरजू है कि हवायें तेरी तरफ बहें ...
मेरे दर्द भरे गीतों की कसक तुम तक तो पहुँचे....
जान सको तुम कि कोई चैन का पल जिया ना गया ....
दूर होकर जिन्दा तो हैं पर पल भर जिया ना गया....
हमको कब कहाँ कोई शिकवा रहा कभी तुमसे ....
मजबूर जीने वाले, मजबूरियों की समझ रखते हैं....
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
रविवार, 7 फ़रवरी 2016
ये इश्क ऐसी शै है
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर ....
--:ये इश्क ऐसी शै है:--
क्या समझेंगे भला वो, इश्क की गहराई
जो एक सूरत के इश्क में, सीरत मिटा लेते हैं!
.
कब-कब कितना आया किये,
तुम दर तक मेरे
दरवाजों ने चुगली
हर बार मुझसे की ...
हवाओं से ही कभी कोई
ख्वाहिश जता जाते
दरवाजे मेरे फिर,
कभी बंद ना मिलते....
..
दिल के हाथों मजबूर हो
मेरे दर तक आ ही पहुँचे
दो घड़ी तो साथ बैठ लो
लौटकर जाने से पहले.
....
निकल कर ख्वाब से कभी
मिल तो लो हकीकत में ...
फिर अख्तियार में हो तुम्हारे
तो छोड़कर चल देना!!!
....
ये इश्क ऐसी शै है
चुपके से वार करती है
फिर हासिल होता कुछ नहीं
मीत ना मिल पाये
या मिल जाये तो भी !!!
.
..... एवम् अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
बुधवार, 20 जनवरी 2016
भारतीय अंग्रेज प्रशासन जारी है... 100 साल बाद भी
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर... एवम् ...
जारी है ... 100 साल बाद भी
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मैं 'नरेन्द्र' की आत्मा
आज यहाँ से, स्वर्ग से, पूर्ण पूर्वाग्रह रहित होकर देख पा रहा हूँ ...
मैं 'नरेन्द्र' की आत्मा
आज यहाँ से, स्वर्ग से, पूर्ण पूर्वाग्रह रहित होकर देख पा रहा हूँ ...
भारत! जो मेरा भारत हुआ करता था
आज भी लगभग वहीं है ...
जहाँ मैंने छोड़ा था!!!
आज भी मेरे भारत वंशी वैसे ही भोले, सरल और सहज हैं
जैसे आज से 100 साल पहले थे!
100 साल पहले जब मुझे 'विश्व धर्म संसद' में
भारत का प्रतिनिधित्व करने का
ऐतिहासिक अवसर मिलना शेष था....
ऐतिहासिक अवसर मिलना शेष था....
तब मेरे 'भारत' के लिए
अंग्रेज ही 'साहब' हुआ करते थे।
अंग्रेजों की अंग्रेजी में बारंबार दी जाने वाली गालियों
(निकृष्ट, गँवार और दो-दो पैसे में बिकने वाला) को
भारत ना केवल अंगीकार कर चुका था, बल्कि नियति भी मान चुका था।
उनके लिए केवल अँग्रेज़ और अंग्रेजी जानने / बोलने वाले ही
मंगलवार, 12 जनवरी 2016
क्या सही क्या गलत- 1 - पथ संचलन
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
क्या सही क्या गलत- 1 - (पथ संचलन)
पिछले दिनों 'स्वसासन्' (स्वप्न साकार सन्घ) पर
पिछले दिनों 'स्वसासन्' (स्वप्न साकार सन्घ) पर
एक श्रंखला प्रारंभ की गई है
इसके पहले भाग में
यातायात जागरूकता हेतु 'सड़क सुरक्षा सप्ताह',
11 से 20 जनवरी, पर
हम चर्चा करने जा रहे हैं
यातायात जागरूकता हेतु 'सड़क सुरक्षा सप्ताह',
11 से 20 जनवरी, पर
हम चर्चा करने जा रहे हैं
सड़क पर परंपरागत पैदल चलने के ढंग में सुधार पर
विगत 2015 के ही वर्ष में केवल भोपाल में ही
279 पैदल चलने वालों / वाहन सवारों की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हुई है.
विचार योग्य है..... आइये देखते हैं!
हमारे देश में बायें हाथ की ओर यातायात की व्यवस्था है
किंतु पैदल यात्री को सड़क के दोनों ओर से
दोनों दिशाओं की ओर फुटपाथ पर चलने की सुविधा स्वतंत्र रूप से उपलब्ध है.
फुटपाथ हों तो पैदल चलने के लिये केवल फुटपाथ का ही उपयोग किया जाना चाहिये
किन्तु जहाँ फुटपाथ उपलब्ध नहीं हैं
और जब हम प्रातः/ सायंकालीन भ्रमण पर हों
तब हमारा सड़क के दायीं ओर (पैदल) चलना ही
सर्वथा उचित, उपयोगी एवं सुरक्षित है!
फुटपाथ रहित सड़क पर चूंकि वाहन यातायात बायीं ओर होता है
रविवार, 10 जनवरी 2016
17 to 23 January 2016 Weekly Rashiphal By JyotishGuru Deepak Kapoor
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
https://www.youtube.com/watch?v=RS0gHO_07TU
https://www.youtube.com/watch?v=RS0gHO_07TU
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
बुधवार, 30 दिसंबर 2015
गुरु - एक विचार
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ...
गुरु - एक विचार
"गुरु" वह विचार है जो अनुचित और उचित का अंतर बताता है!
जिस व्यक्ति, पुस्तक या आख्यान से
आपके अब तक के अनुत्तरित प्रश्न का उत्तर मिल सके
या जो अनौखा प्रश्न प्रस्तुत करे
वह ही गुरु है
इससे इतर और कुछ नहीं !
निश्चय ही माता-पिता सबके प्रथम गुरु हैं
फिर अक्षर ज्ञान दाता से लेकर हर वह व्यक्ति
जिसने जब कभी आपके अनुत्तरित प्रश्न का समुचित उत्तर दिया हो
वह गुरु ही तो है!
गुरु यानी ज्ञान का भंडार
जिस व्यक्ति, पुस्तक या आख्यान से
आपके अब तक के अनुत्तरित प्रश्न का उत्तर मिल सके
या जो अनौखा प्रश्न प्रस्तुत करे
वह ही गुरु है
इससे इतर और कुछ नहीं !
निश्चय ही माता-पिता सबके प्रथम गुरु हैं
फिर अक्षर ज्ञान दाता से लेकर हर वह व्यक्ति
जिसने जब कभी आपके अनुत्तरित प्रश्न का समुचित उत्तर दिया हो
वह गुरु ही तो है!
गुरु यानी ज्ञान का भंडार
मंगलवार, 22 दिसंबर 2015
काम हम भी आये थे!
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
साँस दर साँस
लम्हा दर लम्हा
दो जिस्म एक जान
की तरह जीते-जीते
एक दिन अहसास हुआ
भ्रम है यह!
जिस्मों की ही तरह
जानें ही अलग ना थीं
जुदा तेरे ख्वाब भी थे !
फिर भी हमारी लाचारी
अपनी उम्र सारी
तेरे ख्वाबों की ताबीर हम तराशा किये!
तेरे हर सुनहरे ख्वाब में,
खुद का पैबंद
शुक्रवार, 18 दिसंबर 2015
सम्हलता कहाँ है
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
सुबह तो हो जाये मगर
वो जागता कहाँ है?
भूल फितरत इंसां की,
इंसां मानता कहाँ है?
मन में जीवित हो यौवन
तो कभी ढलता कहाँ है ?
यौवन में युवमन सम्हाले
किसी से सम्हलता कहाँ है ?
वो जागता कहाँ है?
भूल फितरत इंसां की,
इंसां मानता कहाँ है?
मन में जीवित हो यौवन
तो कभी ढलता कहाँ है ?
यौवन में युवमन सम्हाले
किसी से सम्हलता कहाँ है ?
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
ऐसे अब जज्बात कहाँ?
स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....
जलते शोलों को लिख पायें
शब्दों की औकात कहाँ?
कह डालें अनकहे बोल सब
ऐसे अब जज्बात कहाँ?
बिन बोले कह दें
सुन लें गुन लें
#सत्यार्चन
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...
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