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रविवार, 29 नवंबर 2015

क्यों आते हैं... बुलाते हैं?

स्वागत् है आपका SwaSaSan पर एवम् ....

जी चाहा, चले आते हैं, ....
जी चाहे तो बुलवाते हैं....
कितने शिकवे जताते हैं ....
कुछ दर्द सुन जाते हैं....
कुछ हिदायतें दे लेते हैं ...
कुछ ताकीद भी कर जाते हैं ....
सोचने में अक्सर आता ह...
वो क्यों आते हैं .... ..... .... क्यों बुलाते हैं???- ‪#‎सत्यार्चन‬
..... अपेक्षित हैं समालोचना / आलोचना के चन्द शब्द...

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