"SwaSaSan" "स्व सा सं" (स्वत्व साकार संकल्प / स्वप्न साकार संकल्प / स्वतंत्रता साकार संघ / स्वप्न साकार संघ) स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हर एक सेनानी ने स्वतंत्र भारत के जिस दिवा स्वप्न के लिये अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया... उसी स्वप्न के साकार का संकल्प है! आइये देखते हैं ...कितने सक्षम हैं हम...??? https://swasasan.blogger.in; https://swasaasan.blogspot.com
शुक्रवार, 2 सितंबर 2011
मंगलवार, 12 जुलाई 2011
Prediction Became True !
SwaSaSan Welcomes You...
This was published on June 24 '11 by me , Yesterday's UNFORTUNATE Rail Accident came as per my 2nd prediction.
First prediction seems to be real between July 17th and 23rd.
The 3rd seems to be real before Dec '11
Prediction-1
I am getting signals of some disasters coming towards Indian subcontinent -
1. An Earthquake above label 6 is alarming in subcontinent !
2. An Explosion / Accident / Human Act
is going to affect
hundreds of people physically !
3. Surprisingly Heads of State/ Nation / Political Parties / Institution or going to substituted !
This was published on June 24 '11 by me , Yesterday's UNFORTUNATE Rail Accident came as per my 2nd prediction.
First prediction seems to be real between July 17th and 23rd.
The 3rd seems to be real before Dec '11
Prediction-1
I am getting signals of some disasters coming towards Indian subcontinent -
1. An Earthquake above label 6 is alarming in subcontinent !
2. An Explosion / Accident / Human Act
is going to affect
hundreds of people physically !
3. Surprisingly Heads of State/ Nation / Political Parties / Institution or going to substituted !
रविवार, 10 जुलाई 2011
ACTUAL INDEPENDENCE !!!
SwaSaSan Welcomes You...
वास्तविक आज़ादी की ओर ...
स्वसासन
आजाद भारत के हम आजाद नागरिक
केवल मनमानी करने की आज़ादी [???]
को ही आज़ादी ना मानें !
केवल मनमानी करने की आज़ादी [???]
को ही आज़ादी ना मानें !
हमारे कुछ बुनियादी अधिकार हैं तो
कुछ आवश्यक कर्त्तव्य भी !
.
वास्तविक आज़ादी के लिए हमारा जागृत होना आवश्यक है .
स्वसासन इस दिशा में प्रयत्नशील है !
स्वसासन के सुझाव /मांगें / घोषणा पत्र
कुछ इस तरह हैं -
कुछ इस तरह हैं -
.
आनलाइन वोटिंग
.
[ ताकि व्यस्त एवं अनिच्छित वोटर भी आने वोट दे सकें !
यदि वर्तमान सरकार व्यवस्था नहीं कर सकी तो स्वसासन समर्थित सरकार अवश्य करेगी ]
.
[ ताकि व्यस्त एवं अनिच्छित वोटर भी आने वोट दे सकें !
यदि वर्तमान सरकार व्यवस्था नहीं कर सकी तो स्वसासन समर्थित सरकार अवश्य करेगी ]
.
संविधान में आवश्यक उचित संशोधन
.
[हमारा संविधान उच्च कोटि के प्रावधानों से परिपूर्ण तो है
किन्तु इन के कठोर परिपालन सुनिश्चित करने हेतु अभी भी कुछ सुधार आवश्यक ]
.
[हमारा संविधान उच्च कोटि के प्रावधानों से परिपूर्ण तो है
किन्तु इन के कठोर परिपालन सुनिश्चित करने हेतु अभी भी कुछ सुधार आवश्यक ]
.
सुचारू शासकीय कार्य सम्पादन
सुचारू शासकीय कार्य सम्पादन
.
प्रत्येक शासकीय /अशासकीय कार्यालय में कार्यवाही सुनिश्चित करना
[शासकीय कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा अपने वेतन को आय का मुख्य श्रोत नहीं मानता
ऐसे कर्मचारियों से निजात हेतु
प्रत्येक शासकीय /अशासकीय कार्यालय में कार्यवाही सुनिश्चित करना
[शासकीय कर्मचारियों का एक बड़ा हिस्सा अपने वेतन को आय का मुख्य श्रोत नहीं मानता
ऐसे कर्मचारियों से निजात हेतु
पुलिस अदि विभागों में उचित वेतन,सुविधा, सेवा शर्तें व
उचित कार्यसम्पादन हेतु तत्पर कर्मियों को ही सेवा लाभ ]
उचित कार्यसम्पादन हेतु तत्पर कर्मियों को ही सेवा लाभ ]
कुशल अधिकारी, कर्मचारी, राजनीतिज्ञ, नागरिक को
बड़े पारितोषिक की व्यवस्था
बड़े पारितोषिक की व्यवस्था
एवं
भ्रष्ट / असक्षम/ या /लापरवाह अधिकारी, कर्मचारी, राजनीतिज्ञ, नागरिक को
कड़े दंड की व्यवस्था
.
सुलभ एवं सुनिश्चित न्याय
.
न्यायपालिका से १००% सुनिश्चित न्याय
[हजार दोषी छूट जाएँ पर किसी निर्दोष को सजा ना हो !
को बदलकर
'ना कोई निर्दोष सजा पाए ना कोई दोषी छूट पाए '
पर लाना ]
.
न्यायपालिका से १००% सुनिश्चित न्याय
[हजार दोषी छूट जाएँ पर किसी निर्दोष को सजा ना हो !
को बदलकर
'ना कोई निर्दोष सजा पाए ना कोई दोषी छूट पाए '
पर लाना ]
.
केवल इतने सुधार भी हो जाएँ तो देश दस गुनी तेजी से
प्रगति पथ पर चल पड़े
किन्तु बिना आप सबके जागरूक सहयोग के
ऐसा कोई सुधार नहीं हो सकता !
इन विचारों के समर्थक
/
नए रचनात्मक सुझावों के स्वामी
संपर्क कर रूचि प्रदर्शित करें
/
स्वप्न साकार संघ की सक्रिय सदस्यता लें !
प्रत्येक बिंदु पर विस्तृत अगली कड़ियों में ...
प्रगति पथ पर चल पड़े
किन्तु बिना आप सबके जागरूक सहयोग के
ऐसा कोई सुधार नहीं हो सकता !
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शनिवार, 9 जुलाई 2011
THE TIME MACHINE REVEALED !!!!!!!!!
SwaSaSan Welcomes You...
Believe It Or Not
BUT.....
THE TIME MACHINE REVEALED !!!!!!!!!
Just Think !!!
If so called Time Machine could made real !
Many of us would like to become King of The Universe !
Many of us would like to fulfill their Ambitions !
Many of us would like to become Master of Rest of The World !
Many of us would like to ruin many others !
Just by pushing a button !
NOW ALL ABOVE CAN MADE POSSIBLE !!!
[Excluding harm others ]
but with some limitations ! .
This is only a Process of
Making You By Your Own !
You Can Do With This-
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Whatever may your wish !
Visit your Past !
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Make Pleasant Your Present !
Make Your Destiny Your Own !!!
SwaSaSan is going to avail all this
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swasasan@yahoo.com
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रविवार, 3 जुलाई 2011
न्याय ! कैसा न्याय ???
SwaSaSan Welcomes You...
भारत में न्याय व्यवस्था के विगत उदहारण चीख चीख कर कह रहे हैं
जनसामान्य शोषण को तैयार रहे !
न्याय केवल वशिष्ठ जनों अथवा धनकुबेरों के साथ किया जाएगा !
उनके अनुसार किया जाएगा !!!
अभी हाल का नीरज ग्रोवर मामला हो
या विगत जेसिका लाल ,भारती यादव, प्रोफ़ेसर सभरवाल या कई अन्य मामले
जिनमें दोषियों को सजा दिलाने में जन आन्दोलन भी असफल रहे !
इस तरह के कई ऐसे मामले हैं जिनमें
पीड़ित परिवार ने वर्षों तक अपनी हर साँस के साथ निरंतर
न्याय पाने की कोशिश जारी रखी !
किन्तु भ्रष्ट व्यवस्था के चलते
न्यायालय तक साक्ष्यों को बिना तोड़े मरोड़े नहीं पंहुचाया जा सकता !
यह सड़ी गली व्यवस्था निकट भविष्य में बदलती नहीं दिख रही !
ऐसे में यदि दुर्भाग्य से कोई आम आदमी पीड़ित होता है
तो परिजनों को अपनी औकात पहचानते हुए
या तो खून के आंसू के घूँट पीकर चुपचाप बैठ जाना चाहिए
अथवा
किसी एक परिजन को दोषी को सजा देने / दिलाने का कार्य सोंपकर
उस परिजन को हर पारिवारिक जिम्मेदारी से मुक्त कर देना चाहिए !
ताकि परिवार का हर सदस्य पलपल तिलतिल कर मरते हुए
न्याय पाने की मृगमरीचिका में वर्षों तक कई कई बार ना मरता रहे !
शुक्रवार, 24 जून 2011
"हमारा राज देश पर तो देश का दुनियां पर"-4 ["वास्तविक स्वराज " ]
SwaSaSan Welcomes You...
["वास्तविक स्वराज " ]
देश में व्याप्त भ्रष्टाचार, कुशासन का सबसे काला पहलु हैजिसके विरुद्ध कई जगह से आवाज उठाई जा रही है
जिनमें से एक नक्सल भी हैं .
नक्सलवाद का प्रारंभ भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनांदोलन के रूप में हुआ
किन्तु हमेशा की तरह राजनैतिक नेतृत्व के प्रवेश के साथ
यह आन्दोलन पथभ्रमित हो गया .
नक्सलियों का उद्देश्य यदि भ्रष्टाचार का खात्मा और विकास के मार्ग पर बढ़ना होता
और वे बन्दूक की बजाय सत्याग्रह जैसी गोली चलाते होते
तो स्वसासन भी उनके साथ होता .
स्वसासन भी देश से हर उस बुराई को दूर करने संकल्पित है
"हमारा राज देश पर तो देश का दुनियां पर"-3
SwaSaSan Welcomes You...
[वास्तविक आज़ादी की ओर ...]
आज सोसायटी में बहस का सबसे अहम् मुद्दा भ्रष्टाचार ही रहता है.
किन्तु हम केवल दुसरे की ओर ही अंगुली उठाते रहते हैं.
खुद अपने अन्दर झांकना आता ही नहीं है हमें !
वे सभी, जो आम जनता समझे जाते हैं,
सर्वाधिक भ्रष्टाचार पीड़ित होते या समझे जाते हैं
किन्तु जिम्मेदार भी वही आम जन हैं,
इस भ्रष्टाचार की महामारी को बढ़ाने में !
बुधवार, 22 जून 2011
"हमारा राज देश पर तो देश का दुनियां पर"-2
SwaSaSan Welcomes You...
देश की प्रगति है क्या?
जब पहली बार लेख लिखा गया....
तब हालात ऐसे ही थे....
मेरी अपनी पत्रिका के प्रधान संपादक भी इसे छापने के पक्ष में नहीं थे )
बिकना ही नियति है सबकी
मेरा मोल लगाया गया कई बार ...
मैंने भी तय कर ली मेरी कीमत
तुम्हारा भी मोलभाव होता होगा ..
तुमने भी लगाये होंगे दाम अपने ....
पता नहीं कितना बिके अब तक तुम..
मुझे खरीदार मिला नहीं ...
मैंने पाल लिया है भ्रम मन में...
कि मैं अलग हूँ सबसे....
अनमोल हूँ मैं..... .
प्रार्थना है
हे मेरे ईश्वर !
मेरा मोल ना लग पाए कभी
बनाये रखना मुझे अनमोल !
जरा सोचें.... क्या कारण होगा कि
हमारा देश आज़ादी के इतने सालों बाद भी...
हमारा अपना सा नहीं हो सका !
हमारा देश आज़ादी के इतने सालों बाद भी...
हमारा अपना सा नहीं हो सका !
प्रगति तो हुई किन्तु क्या पर्याप्त है इतनी प्रगति ?
क्यों हम वह नहीं पा सके जिसके हम अधिकारी थे ?
कारण हमारी अंग्रेजी शासन काल से जारी
शासन को जनविरोधी समझने की मानसिकता
शासन को जनविरोधी समझने की मानसिकता
और इस जनविरोधी प्रशासन के विरुद्ध
कुछ ना कर पाने की असमर्थता का स्वीकार !
कुछ ना कर पाने की असमर्थता का स्वीकार !
शायद हमें स्वयं की सामर्थ्य का...
ना तो ज्ञान है...
ना ही अपनी सामर्थ्य पर विशवास !
ना तो ज्ञान है...
ना ही अपनी सामर्थ्य पर विशवास !
इतिहास गवाह है कि हमारी आज़ादी
और जापान की द्वतीय विश्वयुद्ध के बाद की तबाही
के बाद उठ खड़े होने की कोशिश
और जापान की द्वतीय विश्वयुद्ध के बाद की तबाही
के बाद उठ खड़े होने की कोशिश
लगभग एक ही समय कि घटनाएँ हैं
किन्तु आज जापान हमसे २००- ३०० बर्ष आगे पंहुच चूका है .
सबसे पहले तो अधिकांश लोग यह जानते ही नहीं कि....आखिर क्यों ?
देश की प्रगति है क्या?
देश की प्रगति देखें या हमारी अपनी ?
वास्तव में किसी भी देश की प्रगति
उसके नागरिकों की प्रगति का ही दूसरा नाम है .
उसके नागरिकों की प्रगति का ही दूसरा नाम है .
प्रत्येक देश रूपी इमारत की
इकाई ईंट उस देश का नागरिक ही होता है ,
देश (या भारत देश) का अलग से कोई अस्तित्व है ही नहीं.
यदि देश केवल भोगोलिक सीमाओं से घिरा क्षेत्र ही होता
तो हर देश आज भी उतना ही अविकसित होता जितना हम आदिम युग में थे .
आज यदि दुसरे देश हमसे आगे हैं
तो उन देशों के नागरिक अपना और अपने देश का हित अलग अलग नहीं सोचते / समझते .
आपसे जब देश की प्रगति में सहयोग की बात की जाती है
तो आपसे केवल
अपने हिस्से की प्रगति करने
और दुसरे की प्रगति में
बाधक ना बनने की आशा की जाती है .
लेकिन आपको अपनी प्रगति में खुद अपनी मदद करने के बजाय दुसरे
की प्रगति में बाधक बनने में अधिक रूचि होती है
जिसके लिए आपको अपना ध्यान दो दिशाओं में देना होता है और दोनों ही
काम ठीक तरह से नहीं हो पाते .
मजे की बात तो यह भी है कि
हमारे सामने हमारी संपत्ति को कोई नुकसान पंहुचाये
तो हम लड़ने मरने को तैयार रहते हैं
किन्तु हमारे ही सामने उधमी बच्चे भी
सार्वजनिक संपत्ति में तोड़फोड़ कर रहे होते हैं तो हम चुप रहते हैं
क्योंकि हमें मालूम ही नहीं होता कि
छोटी छोटी चीजों को खरीदते समय हमारे द्वारा चुकाए गए टैक्स जैसी राशी
यानी हमारी पूंजी से ही ये सार्वजनिक सुविधाएं स्थापित हुई होती हैं.
दूसरी ओर
जापानी अपनी राष्ट्रीयता की भावना के लिए जाने जाते हैं ,
इसीलिये भ्रष्टाचार में नकारात्मक मेरिट में हैं .
और हम ..?
हममें से अधिकांश इस तरह के टापिक पढ़ते हुए ,
अपनी ही मातृ भूमि को गाली देने से भी गुरेज नहीं करते !!!
यदि इस टापिक का शीर्षक यह नहीं होता तो 'देश' जैसा बिषय देख शायद १०%
लोग भी इसे पढ़ना उचित नहीं समझते .(क्षमा कीजिये 22 बर्ष पूर्व के शब्द हैं ...
जब पहली बार लेख लिखा गया....
तब हालात ऐसे ही थे....
मेरी अपनी पत्रिका के प्रधान संपादक भी इसे छापने के पक्ष में नहीं थे )
जहाँ तक भ्रष्टाचार का प्रश्न है तो नीचे लिखी लाइनें देखिये
( जो मेरे मनोबल को अभी तक बनाए रखने के लिए, मेरे सन्दर्भ में सटीक हैं
किन्तु हर कोई ऐसा ही दिखावा करता हैं )
अनमोल(?) मानव
-----------
-----------
बिकाऊ है हर कोई यहाँ
बिकना ही नियति है सबकी
मेरा मोल लगाया गया कई बार ...
मैंने भी तय कर ली मेरी कीमत
तुम्हारा भी मोलभाव होता होगा ..
तुमने भी लगाये होंगे दाम अपने ....
पता नहीं कितना बिके अब तक तुम..
मुझे खरीदार मिला नहीं ...
मैंने पाल लिया है भ्रम मन में...
कि मैं अलग हूँ सबसे....
अनमोल हूँ मैं..... .
प्रार्थना है
हे मेरे ईश्वर !
मेरा मोल ना लग पाए कभी
बनाये रखना मुझे अनमोल !
-------------
मैं कोई मसीहा या अवतार या योगी या पंहुचा हुआ साधू-संत नहीं हूँ ,
मैं भी आप में से एक आम भारतीय ही हूँ !
बस मैंने मुझे स्वयं की नजरों में गिरने नहीं दिया है !
मैं अनारक्षित वर्ग से हूँ !
(मुझे विस्तार से जानने
" क्या हक नहीं है मुझे उपदेश देने का "
पढ़ सकते हैं )
(मुझे विस्तार से जानने
" क्या हक नहीं है मुझे उपदेश देने का "
पढ़ सकते हैं )
वर्तमान आरक्षण व्यवस्था के रहते हुए भी
यह मानने तैयार नहीं की रोजगार के अवसर अनुपलब्ध हैं !
मेरे पिता को, मुझे और मेरे बेटों को केवल अपनी योग्यता के दम पर
[ किन्तु योग्यता के अनुरूप ही ]
एक से अधिक रोजगार के आमंत्रण उपलब्ध रहे हैं !
समस्या अपनी योग्यता से अधिक पाने के प्रयास में
दुसरे के हिस्से को येनकेन प्रकारेण हड़पने के प्रयास से ही जन्मती है !
यदि आवश्यकता अधिक पाने की है तो
अपनी योग्यता का विकास आवश्यक है !
अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता के साथ साथ
अपने कर्तव्यों का ईमानदार निर्वाह भी आवश्यक है !
[अगले अंकों में 'क्या है हमारे हाथ में ' ]
"हमारा राज देश पर तो देश का दुनियां पर"-1
SwaSaSan Welcomes You...
"हमारा राज देश पर तो देश का दुनियां पर"-1
प्रथम भाग [परिचय]
मैं यानी एक आम भारतीय , क्या चाहता हूँ और क्या करने जा रहा हूँ ? ? ?
जानने के लिए आपको पहले जानना होगा "स्वसासन" को ....
. "स्वसासन" आज़ादी के दीवानों द्वारा आज़ादी के संग्राम के समय
देखे गए दिवा स्वप्न को साकार करने हेतु संकल्पित एक मंच है . इस मंच का उद्देश्य
आगे चलकर "स्वसासन् " (स्वप्न साकार संघ) का गठन करना भी है जो हम जैसे
सामान विचार धारा वालों का संगठन हो , जिसके माध्यम से देश को एक स्वच्छ व
सशक्त नेतृत्व की ओर ले जाया जा सके ...
शुक्रवार, 10 जून 2011
नेताजी और यमराज
(अतिथि रचनाकार संदीप कौशिक जी की प्रस्तुति )
नेताजी और यमराज
एक साथ कई घोटाले थे किए,
सो नेताजी ज्यादा दिन नहीं जिए |
उनका पाप का घड़ा जब यमदूत नहीं उठा पाये,
तो यमराज स्वयं चलकर उन्हें लेने आए |
यमराज बोले- चल तेरा समय हो गया पूरा,
उसने भी आँखें निकाल कर यमराज को घूरा |
जब यमराज ने आगे बोलना शुरू किया,
तो मौत देखकर नेताजी का मानो दम निकल गया |
यमराज बोले- दुष्ट ! अब तो धरती को छोड़ दे,
अपना पाप का घड़ा जाते-जाते तो फोड़ दे |
नेताजी और यमराज
एक साथ कई घोटाले थे किए,
सो नेताजी ज्यादा दिन नहीं जिए |
उनका पाप का घड़ा जब यमदूत नहीं उठा पाये,
तो यमराज स्वयं चलकर उन्हें लेने आए |
यमराज बोले- चल तेरा समय हो गया पूरा,
उसने भी आँखें निकाल कर यमराज को घूरा |
जब यमराज ने आगे बोलना शुरू किया,
तो मौत देखकर नेताजी का मानो दम निकल गया |
यमराज बोले- दुष्ट ! अब तो धरती को छोड़ दे,
अपना पाप का घड़ा जाते-जाते तो फोड़ दे |
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