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शुक्रवार, 24 जून 2011

"हमारा राज देश पर तो देश का दुनियां पर"-3

SwaSaSan Welcomes You...
[वास्तविक आज़ादी की ओर ...]
    आज सोसायटी में बहस का सबसे अहम् मुद्दा भ्रष्टाचार ही रहता है. 
किन्तु हम केवल दुसरे की ओर ही अंगुली उठाते रहते हैं.
खुद अपने अन्दर झांकना आता ही नहीं  है हमें !
वे सभी, जो आम जनता समझे जाते हैं,
सर्वाधिक भ्रष्टाचार पीड़ित होते या समझे जाते हैं 
किन्तु जिम्मेदार भी वही आम जन हैं,
इस भ्रष्टाचार की  महामारी को बढ़ाने में !
   सबसे अधिक भ्रष्टाचार राजनीति में देखने को मिलता है .
 अधिकांश राष्ट्रीय नेता जो देश कि दुहाई देकर सत्तासीन होते हैं,
स्वदेश हित में से, देश हटाकर,
स्वहित संबर्धन में तन मन से, 
रात दिन एक कर जुटे रहते हैं .
वही आम जन जो उन्हें ५ साल तक गालियाँ बकते नहीं थकता,
चुनाव आते ही राजनेताओं से भी  बदतर तरीके से पाला बदलकर
उन्हीं राजनेताओं के चुनाव कार्य में तन मन धन से जुट जाता है ! 
                        ऐसा नहीं है कि इस तरह के तथाकथित राष्ट्रसेवी नेताओं से
देश या देशवासियों को निजात  दिलाने वालों की सूची में मैं सर्व प्रथम या अकेला हूँ !
ऐसी सोच रखने वाले बहुसंख्य हैं किन्तु
हम सब असंगठित होने के कारण प्रयास कर ही नहीं पाते
 या हमारे प्रयास निरर्थक हो जाते हैं. विगत लगभग २० बर्षों से मैं स्वयं, अपने स्तर पर, मेरे  परिचय क्षेत्र में हर छोटे बड़े नेता से  सशर्त  "स्वसासन" की सहायता से देश का प्रधान बनने का प्रस्ताव रखता आया हूँ.  किन्तु कोई भी तथाकथित समाजसेवक मेरी एकमात्र उचित शर्त मानने को तैयार नहीं हुआ . वो शर्त है कि देश का प्रधान बनने की शेष योग्यताओं के साथ यह वचन कि राष्ट्र का प्रधान बनने के बाद 'नेताजी' अपनी आनेवाली सात पीढ़ियों के बैठ कर खाने के प्रबंध में नहीं जुटेंगे . सीधी सी बात है  ईमानदारी से कार्यपालन करना होता . आपको आश्चर्य होगा कि अधिकाँश का प्रतिप्रश्न यही होता था कि "हम पागल दिखते हैं क्या ? जब 'कमाना' नहीं है फिर  इतनी मेहनत इतना खर्च क्यों करेगा कोई ?"  मजे कि बात तो यह है कि यह प्रश्न केवल आपराधिक रिकार्ड रहित स्वच्छ छवि धारी समाजोद्धारक नेताओं से ही किया गया फिर प्रचलित नेताओं के हाल तो आप समझ ही सकते हैं .
यह सर्वमान्य सत्यहै कि राजनीति में कूदने वालों का उद्देश्य उच्च राजनैतिक पद पाकर प्रतिष्ठा लाभ पाने से से कई गुना अधिक भ्रष्टाचरण से धन लाभ का अवसर पाना होता है. चूँकि राजनैतिक कार्यकाल पूरी तरह अनिश्चित होता है इसीलिये हरेक नेता तेजी से धनोपार्जन में लग जाता है.
लगभग २० बर्ष के सतत प्रयास में भी मैं ऐसा कोई योग्य व्यक्ति नहीं तलाश सका जिसके दिल में देश की आज़ादी के दीवानों सा देशहित का जनून पल रहा हो, 

जो देश का नेतृत्व करने में सक्षम भी हो और तत्पर भी .तब हारकर वैकल्पिक रूप से मैं स्वयं को इस हेतु प्रस्तुत कर रहा हूँ. मेरी दिली तमन्ना देश का नेतृत्व करने की नहीं वरन उसके सलाहकार बनने  और उसकी निरंकुशता की दशा में सिपहसालार की भूमिका निभाने की ही है.

अतः  " हमारा   राज देश पर और देश का दुनियां पर"  में मेरा राज होना जरुरी नहीं है . इस शीर्षक का या 'स्वसासन' का 'हम ' आप में से कोई भी हो सकता है जो निःस्वार्थ सिर्फ देशहित को ध्यान में रख देश का नेतृत्व करने की इच्छा, उत्कंठा  व क्षमता रखता हो ! मेरा प्रयास केवल इस मंच को आपके सामने रखना है जिसके माध्यम से समान क्रांतिकारी विचारधारा वाले लोंगों को इकठ्ठा होने का मौका देना  है, जो देश की वास्तविक आज़ादी के संघर्ष को तत्पर हैं या संघर्षरत हैं .

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