SwaSaSan Welcomes You...
"हमारा राज देश पर तो देश का दुनियां पर"-1
प्रथम भाग [परिचय]
मैं यानी एक आम भारतीय , क्या चाहता हूँ और क्या करने जा रहा हूँ ? ? ?
जानने के लिए आपको पहले जानना होगा "स्वसासन" को ....
. "स्वसासन" आज़ादी के दीवानों द्वारा आज़ादी के संग्राम के समय
देखे गए दिवा स्वप्न को साकार करने हेतु संकल्पित एक मंच है . इस मंच का उद्देश्य
आगे चलकर "स्वसासन् " (स्वप्न साकार संघ) का गठन करना भी है जो हम जैसे
सामान विचार धारा वालों का संगठन हो , जिसके माध्यम से देश को एक स्वच्छ व
"स्वसासन" में स्व - स्वप्न से , सा - साकार से और सं - संकल्प ( / सन् संघ) से लिया
गया है .
भारत की आज़ादी के लिए अपने जीवन या जीवन के सारे सुखों का बलिदान करने वालों ने आजाद
भारत के भविष्य की तस्वीर का जो सपना अपने मन में पाला होगा वह आज के जापान की तस्वीर सा
ही रहा होगा . आज़ादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व न्योंछावर करने वाले उन रणबांकुरों के उस दिवा
स्वप्न की तस्वीर के हम किंचित मात्र भी निकट नहीं पहुँच सके हैं . बस आज़ादी के पहले के भारत की
तस्वीर का फ्रेम ही बदला गया है , तस्वीर वही पुरानी क्योंकि नेतृत्व करने वालों के केवल नाम ही
हिन्दुस्तानी हुए हैं मानसिकता वही की वही अंग्रेजों वाली .
जरा से फेरबदल के साथ वही क़ानून
वही फूट डालो और राज करो की नीति का अनुसरण
वही बढ़ती हुई अमीर और गरीब के बीच की खाई .
आज़ादी से पहले भी आम आदमी की
मुखर अभिव्यक्ति अपराध थी
आज भी अक्षम्य है !
हमें आवश्यकता है हमारे देशी प्रशासन की
देशी नामधारी अंगेज प्रशासन की नहीं !
यह सब होगा भी !
बस इस आम आदमी की उतरती हुई खुमारी/ तन्द्रा जैसे ही पूरी तरह उतरी
और आम आदमी अपने होश में आया कि
भारत वास्तविक आज़ाद !
जागो सुप्त भारतीय जागो !
अब तो जागो !!!
[अगले भागों में जानिये कितने सुप्त-संवेदना शून्य हैं हम , कैसे होंगे जागृत , देश की प्रगति और हमारी प्रगति अलग कहाँ हैं , आम आदमी निर्णायक हो / सत्तासीन हो ]
[अगले भागों में जानिये कितने सुप्त-संवेदना शून्य हैं हम , कैसे होंगे जागृत , देश की प्रगति और हमारी प्रगति अलग कहाँ हैं , आम आदमी निर्णायक हो / सत्तासीन हो ]
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