swasasan team always welcomes your feedback. please do.
गिरफ्तार-ए-मोहब्बत होकर चाहा कैद रहना उम्रभर
रहे कैद लेकिन तरस गए उनकी नजर को उम्रभर
सोचा किये उनके लबों पर हक़ मेरा है बस मेरा
हक़ जताते ही रहे हक़ पा ना सके उम्रभर
समझा के हारे दिल को ना आयेंगे वो अब कभी
नादान दिल ये दीवाना किया इन्जार उम्रभर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें