(अतिथि रचनाकार संदीप कौशिक जी की प्रस्तुति )
नेताजी और यमराज
एक साथ कई घोटाले थे किए,
सो नेताजी ज्यादा दिन नहीं जिए |
उनका पाप का घड़ा जब यमदूत नहीं उठा पाये,
तो यमराज स्वयं चलकर उन्हें लेने आए |
यमराज बोले- चल तेरा समय हो गया पूरा,
उसने भी आँखें निकाल कर यमराज को घूरा |
जब यमराज ने आगे बोलना शुरू किया,
तो मौत देखकर नेताजी का मानो दम निकल गया |
यमराज बोले- दुष्ट ! अब तो धरती को छोड़ दे,
अपना पाप का घड़ा जाते-जाते तो फोड़ दे |
नेताजी और यमराज
एक साथ कई घोटाले थे किए,
सो नेताजी ज्यादा दिन नहीं जिए |
उनका पाप का घड़ा जब यमदूत नहीं उठा पाये,
तो यमराज स्वयं चलकर उन्हें लेने आए |
यमराज बोले- चल तेरा समय हो गया पूरा,
उसने भी आँखें निकाल कर यमराज को घूरा |
जब यमराज ने आगे बोलना शुरू किया,
तो मौत देखकर नेताजी का मानो दम निकल गया |
यमराज बोले- दुष्ट ! अब तो धरती को छोड़ दे,
अपना पाप का घड़ा जाते-जाते तो फोड़ दे |